
भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बेंगलुरु साउथ से लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या अपने विवाह के रिसेप्शन से पहले दिए गए एक बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। उन्होंने हाल ही में जनता से अनुरोध किया कि वे उनके रिसेप्शन में ‘फूलों के गुलदस्ते’ लेकर न आएं, क्योंकि यह ‘राष्ट्रीय बर्बादी’ है। उनके इस बयान पर साउथ इंडिया फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन (South India Floriculture Association) ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे किसानों की मेहनत का अपमान बताया है।
किसानों की मेहनत को कमजोर करता है बयान: एसोसिएशन
साउथ इंडिया फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष टीएम अरविंद ने इसे एक “गैर-जिम्मेदाराना” टिप्पणी करार देते हुए कहा, “फूलों की खेती से लाखों किसान अपनी आजीविका चलाते हैं। ऐसे में, एक जिम्मेदार नेता का इस तरह का बयान न केवल अनुचित है बल्कि किसानों की कड़ी मेहनत को कमजोर करने वाला भी है।”
फूलों की खेती से जुड़ी है लाखों लोगों की आजीविका
एसोसिएशन के मुताबिक, कर्नाटक में 38,000 हेक्टेयर भूमि पर फूलों की खेती की जाती है, जिसमें से 1,500 हेक्टेयर में व्यावसायिक फूलों की खेती होती है। गुलाब, गेंदा, चमेली, गुलदाउदी और कनकंबरम जैसे फूलों के अलावा, ग्रीनहाउस व पॉलीहाउस में गेरबेरा, एंथुरियम और ऑर्किड जैसे व्यावसायिक फूल भी उगाए जाते हैं।
अरविंद ने बताया कि इस उद्योग से सीधे और परोक्ष रूप से 11 लाख लोग जुड़े हुए हैं, जबकि कुल 52 लाख से अधिक लोगों की आजीविका इस क्षेत्र पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि “कृत्रिम फूलों से मिल रही प्रतिस्पर्धा और बाजार में लगातार बदलती कीमतों के बीच भी किसान प्राकृतिक फूलों की मांग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।”
तेजस्वी सूर्या के बयान पर बढ़ती नाराजगी
तेजस्वी सूर्या के बयान को लेकर किसानों की नाराजगी इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि बीजेपी के ही चिक्कबल्लापुरा से सांसद के. सुधाकर ने हाल ही में संसद में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक फ्लोरीकल्चर बोर्ड के गठन की मांग की थी। उन्होंने यह भी बताया था कि चिक्कबल्लापुरा क्षेत्र में 25,000 एकड़ में फूलों की खेती होती है।
फूलों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
टीएम अरविंद ने यह भी बताया कि हिंदू परंपराओं में फूलों का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। उन्होंने कहा, “फूलों का उपयोग पूजा-पाठ से लेकर विवाह तक कई शुभ अवसरों पर किया जाता है। महंगे उपहारों से बचने की सलाह समझ में आती है, लेकिन फूलों के गुलदस्तों को ‘राष्ट्रीय बर्बादी’ कहना न केवल किसानों की आजीविका पर चोट करता है बल्कि हमारी परंपराओं का भी अपमान है।”
क्या तेजस्वी सूर्या अपना बयान वापस लेंगे?
एसोसिएशन ने तेजस्वी सूर्या से अपील की है कि वे अपने बयान को वापस लें और किसानों की भावनाओं का सम्मान करें। अब यह देखना होगा कि क्या बीजेपी सांसद इस विवाद पर सफाई देते हैं या फिर अपने बयान पर अडिग रहते हैं।

VIKAS TRIPATHI
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