भारतीय किसान यूनियन मंच ने कहा – “अब हक लेकर ही लौटेंगे किसान”
नोएडा, 31 अक्तूबर 2025: भारतीय किसान यूनियन (मंच) का नोएडा प्राधिकरण पर चल रहा अनिश्चितकालीन धरना तीसरे दिन भी जारी रहा। किसानों और प्राधिकरण के बीच हुई वार्ता करीब 3 घंटे 10 मिनट तक चली, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका। परिणामस्वरूप, वार्ता विफल घोषित कर दी गई।
धरने की अध्यक्षता मूलचंद शर्मा ने की और संचालन सुनील भाटी द्वारा किया गया।
धरना स्थल पर किसानों के बीच नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी क्रांति शेखर, अरविंद कुमार और एसीपी प्रवीण कुमार पहुंचे। अधिकारियों ने किसानों से आग्रह किया कि वे अपनी समस्याएं अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी कृष्णा करुणेश के समक्ष रखें। किसानों ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया और प्रत्येक गाँव से दो प्रतिनिधियों के साथ बोर्ड रूम में वार्ता की।
वार्ता रही निष्फल, किसान अडिग
करीब तीन घंटे चली इस बैठक में किसान प्रतिनिधियों ने मुआवजा, भूखंड आबंटन, और किसान कोटे के लंबित मामलों को प्रमुखता से उठाया।
हालाँकि, प्राधिकरण के अधिकारी किसानों को संतुष्ट करने में असफल रहे।
इस पर किसानों ने चेतावनी दी कि अब आंदोलन पीछे नहीं हटेगा।

विमल त्यागी का तीखा बयान
धरने को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल त्यागी ने कहा —
“नोएडा प्राधिकरण किसानों को हल्के में लेने की गलती न करे। इस बार किसान केवल आश्वासन नहीं, अपना हक लेकर ही लौटेंगे। चाहे धरना कितना भी लंबा क्यों न चले, किसान पीछे नहीं हटेंगे।”
उन्होंने घोषणा की कि 3 नवंबर 2025, सोमवार को नोएडा प्राधिकरण पर एक विशाल महापंचायत आयोजित की जाएगी। इसी महापंचायत में आगे की आंदोलन रणनीति तय की जाएगी।
सुधीर चौहान ने रखा किसानों का पक्ष
राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधीर चौहान ने वार्ता के दौरान प्राधिकरण अधिकारियों से तीखे सवाल पूछे और किसानों के साथ हुए अन्याय को उजागर किया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने स्वयं माना है कि किसानों को उनका उचित अधिकार अब तक नहीं मिला है।
“किसानों को छलता आया है प्राधिकरण” – अशोक चौहान
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अशोक चौहान ने बैठक में अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी कृष्णा करुणेश को बताया कि
“नोएडा प्राधिकरण ने किसानों को हमेशा छलने का कार्य किया है। वर्षों से किए गए समझौते पत्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि किसानों को 5% से 10% भूखंड, 1976 से 1997 तक के किसान कोटे के प्लॉट, और आबादी के निस्तारण जैसी सुविधाएँ दी जानी थीं — लेकिन ये आज तक बकाया हैं।”
उन्होंने कहा कि “अब किसान अपने अधिकार लेकर ही लौटेंगे। या तो प्राधिकरण पर किसानों का समाधान होगा, या फिर किसानों की समाधि बनेगी।”

उपस्थित प्रमुख किसान नेता
धरने में बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे, जिनमें प्रमुख रूप से —
प्रमोद त्यागी, सूरज प्रधान, चरण सिंह प्रधान, कालू प्रधान, सुरेंद्र प्रधान, गौतम लोहिया, एडवोकेट दिनेश भाटी, मनविंदर भाटी, चिंकू यादव, उमंग शर्मा, मूले चौहान, वीर सिंह टाइगर, गजेंद्र बैसोया, प्रिंस भाटी, आशीष चौहान, राजपाल चौहान, राहुल पंवार, अमित बैसोया, रिंकू यादव, अभिषेक चौहान, अनुप चौहान, मास्टर बीर सिंह चौहान, सुरेंद्र निर्वाण, रोहित यादव, पुष्पेंद्र चौहान, तेज सिंह चौहान, भंवर सिंह चौहान, रोहित शर्मा, नवल चौहान सहित सैकड़ों किसान उपस्थित रहे।
संक्षेप में:
तीन दिन से चल रहा यह आंदोलन अब निर्णायक चरण में पहुँच गया है।
वार्ता विफल होने के बाद, 3 नवंबर की महापंचायत को लेकर किसानों में भारी उत्साह और रोष दोनों दिखाई दे रहा है।














