बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति गर्मा गई है। कांग्रेस की अगुवाई में महागठबंधन इन दिनों “वोटर अधिकार यात्रा” निकाल रहा है, जो वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित वोट चोरी के खिलाफ आयोजित की जा रही है। यात्रा के दसवें दिन मधुबनी में कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और आरजेडी सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी और चुनाव आयोग पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया।
लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया – सुरजेवाला
सुरजेवाला ने कहा,
“बिहार में लोकतंत्र को खुलेआम गला घोंटकर मारा जा रहा है और इस हत्या के गुनहगार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और चुनाव आयोग हैं। केवल पटना, मधुबनी और पूर्वी चंपारण में ही 10 लाख वोट काटे गए हैं, तो पूरे बिहार में कहर की कल्पना कीजिए।”
उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया में करीब 65 लाख वोट गायब कर दिए गए, जिनमें अधिकांश दलित, पिछड़े, गरीब और अल्पसंख्यक समुदाय के थे।
बीजेपी का “जादुई कंप्यूटर”
सुरजेवाला ने व्यंग्य करते हुए कहा कि वाल्मीकिनगर और यूपी के खड्डा में एक ही व्यक्ति का नाम अलग-अलग वोटर लिस्ट में दर्ज है, बस EPIC नंबर बदल दिया गया।
“यह मजाक नहीं बल्कि बीजेपी का नया डिजिटल तमाशा है। चुनाव आयोग इसमें पूरी तरह साझेदार है। यह केवल वोट चोरी नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर डकैती है।”
70 हजार करोड़ का घोटाला और “राम” का इस्तेमाल
सुरजेवाला ने बीजेपी की कथित दोहरी नैतिकता पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा:
“70 हजार करोड़ का घोटाला CAG रिपोर्ट में दर्ज है, लेकिन बीजेपी-जेडीयू दोनों को कोई शर्म नहीं। ये लोग दिन-रात राम-राम करते हैं, मगर असल में राम का इस्तेमाल सिर्फ वोट बटोरने की मशीन के तौर पर करते हैं। राम गरीब की झोपड़ी में हैं, किसान के पसीने में हैं, शबरी के बेर में हैं – लेकिन इनके लिए राम केवल इवेंट मैनेजमेंट और चुनावी विज्ञापन के पोस्टर हैं।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2017 में संसद में सरकार ने लिखित रूप से कहा था कि सीतामढ़ी में माता सीता के होने का कोई सबूत नहीं है, लेकिन आज वही लोग सीता के नाम पर वोट मांग रहे हैं।
“यह श्रद्धा नहीं, बल्कि सबसे घटिया स्तर का राजनीतिक धंधा है।”
चुनाव आयोग “ज्योतिषी” बन गया – मनोज झा
प्रो. मनोज झा ने भी बीजेपी-जेडीयू और चुनाव आयोग पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने कहा:
“मुख्य चुनाव आयुक्त साहब अब शायद ज्योतिषी भी बन गए हैं। रिवीजन से पहले ही कह दिया कि 20% वोट कटेंगे। यह समझ नहीं आता कि वे चुनाव अधिकारी हैं या टीवी पर भविष्य बताने वाले बाबा। लगता है चुनाव आयोग का काम चुनाव कराना नहीं, बल्कि बीजेपी का रास्ता आसान करना है।”
झा ने कहा कि बिहार की जनता अब इन हथकंडों को समझ चुकी है और चुप बैठने वाली नहीं है।
“यह चुनाव सिर्फ सरकार बदलने का नहीं, बल्कि सरोकार बदलने की लड़ाई है। जनता को खोखले वादे नहीं, असली रोजगार और विकास चाहिए।”
उन्होंने व्यंग्य में कहा,
“अगर आज भगवान राम और माता सीता आ जाएं तो शायद वो भी 7 किलोमीटर के रूट पर धरने पर बैठ जाएंगे।”
नवंबर में मिलेगा जवाब
तेजस्वी यादव के चुनाव बहिष्कार वाले बयान पर सफाई देते हुए झा ने कहा कि यह बयान क्षोभ में दिया गया था, लेकिन महागठबंधन चुनावी मैदान से पीछे नहीं हटेगा।
दोनों नेताओं ने ऐलान किया कि नवंबर 2025 में जनता वोट चोरी और लोकतंत्र की हत्या का करारा जवाब देगी।
“महागठबंधन की सरकार केवल जुमलों की नहीं होगी, बल्कि सरोकारों की सरकार होगी। भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की राजनीति का अंत होगा और जनता का हक जनता तक पहुंचेगा।”
👉 इस तरह महागठबंधन ने मधुबनी की रैली से बिहार चुनाव के लिए सियासी बिगुल फूंक दिया है। आने वाले दिनों में यह “वोटर अधिकार यात्रा” राज्य की राजनीति को और भी गर्माने वाली है।





 
                                    










