Saturday, August 2, 2025
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शिवलिंग पर बिच्छू’ बयान पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: शशि थरूर को राहत, कार्यवाही पर अंतरिम रोक बढ़ी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दिए गए विवादित “शिवलिंग पर बिच्छू” बयान के मामले में कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। मानहानि की कार्यवाही पर उच्चतम न्यायालय ने अस्थायी रोक की अवधि बढ़ा दी है और इस दौरान एक महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की: “आप इस पर इतने भावुक क्यों हो रहे हैं?”

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई 15 सितंबर तक स्थगित कर दी। कोर्ट ने यह आदेश शशि थरूर के वकील द्वारा समय की मांग पर दिया। वहीं, भाजपा नेता और इस मामले में शिकायतकर्ता राजीव बब्बर के वकील ने अपील की कि यह मुद्दा मुख्य कार्यवाही दिवस (Special Hearing Day) पर सुना जाए।

इस पर अदालत ने सख्त लहजे में कहा—

“किसी विशेष सुनवाई दिवस की जरूरत क्यों है? आप इतनी भावुकता क्यों दिखा रहे हैं? चलिए, इस पर थोड़ी शांति से विचार करते हैं।”


थरूर की याचिका और हाई कोर्ट का आदेश

शशि थरूर ने दिल्ली हाई कोर्ट के 29 अगस्त 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रही मानहानि की आपराधिक कार्यवाही को खारिज करने से इनकार कर दिया था और उन्हें 10 सितंबर को निचली अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री के खिलाफ “शिवलिंग पर बिच्छू” जैसे बयान न केवल घृणित और निंदनीय हैं, बल्कि वे प्रधानमंत्री, भाजपा और उसके समर्थकों की मानहानि करते हैं।


थरूर का बचाव: ‘यह एक रूपक था, आपराधिक इरादा नहीं’

डॉ. शशि थरूर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई कि—

उन्होंने केवल एक लेख का हवाला दिया था, जिसमें किसी अनाम आरएसएस नेता द्वारा पीएम मोदी की तुलना शिवलिंग पर बैठे बिच्छू से किए जाने की बात कही गई थी।

यह सद्भावना के तहत एक रूपकात्मक टिप्पणी थी, न कि किसी प्रकार की दुर्भावनापूर्ण मानहानि।

मानहानि कानून की धारा 499 की अपवाद श्रेणियों में यह बयान आता है, क्योंकि यह लोकहित में की गई एक टिप्पणी थी।

सुनवाई के दौरान अदालत ने भी यह बिंदु उठाया कि यदि यह बयान 2012 में प्रकाशित लेख का हिस्सा था, तो उस समय इस पर किसी ने आपत्ति क्यों नहीं जताई?

जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की पिछली टिप्पणी भी उल्लेखनीय है, जिसमें उन्होंने कहा था—“आखिरकार यह एक रूपक है। समझना होगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानहानि के बीच रेखा कहां खींची जाए।”


राजनीतिक संदर्भ और शिकायतकर्ता की स्थिति

भाजपा नेता राजीव बब्बर ने अक्टूबर 2018 में एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने कहा कि शशि थरूर की यह टिप्पणी उनके और भाजपा समर्थकों की भावनाओं को आहत करती है।
शिकायत में आईपीसी की धारा 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत कार्यवाही की मांग की गई है।

हालांकि, थरूर पक्ष का तर्क है कि शिकायतकर्ता न तो व्यक्तिगत रूप से पीड़ित हैं और न ही इस मामले में प्राथमिक रूप से प्रभावित पक्ष। यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान के संदर्भ में दिया गया उदाहरण है, जिसे आपराधिक मुकदमे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।


क्या है ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ बयान?

अक्टूबर 2018 में शशि थरूर ने एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान दावा किया था कि एक अनाम आरएसएस नेता ने पीएम मोदी को लेकर कहा था—“मोदी शिवलिंग पर बैठे बिच्छू की तरह हैं, जिसे आप न तो हाथ से हटा सकते हैं और न ही चप्पल से मार सकते हैं।”

इस कथन पर काफी राजनीतिक विवाद हुआ था और भाजपा नेताओं ने इसे हिंदू भावनाओं के अपमान के रूप में देखा। हालांकि, थरूर ने बार-बार कहा कि यह उनकी स्वयं की राय नहीं, बल्कि एक व्यंग्यात्मक उद्धरण था।


अगली सुनवाई 15 सितंबर को

अब इस बहुचर्चित मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर 2025 को होगी। तब यह तय होगा कि शशि थरूर के खिलाफ चल रही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही जारी रहेगी या रद्द की जाएगी

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