
मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से जुड़े एक अहम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हिंदू पक्ष को केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को मुकदमे में प्रतिवादी बनाने की अनुमति दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया वाद में संशोधन की अनुमति देने में कोई गलती नहीं है। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका को इस विवाद से जुड़े अन्य लंबित मामलों के साथ जोड़ते हुए फिलहाल सुनवाई टाल दी।
मस्जिद कमेटी की दलीलें
मस्जिद कमेटी ने अदालत में तर्क दिया कि वाद में संशोधन कर हिंदू वादियों ने मूल मुकदमे के स्वरूप को मौलिक रूप से बदल दिया है। संशोधित वाद में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के प्रतिनिधियों सहित नौ अन्य को पक्षकार बनाया गया है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि संशोधन ने न सिर्फ उनके पूर्व बचाव को कमजोर किया है, बल्कि हिंदू पक्ष को नया मामला गढ़ने का अवसर भी दिया है।
कमेटी ने यह भी दावा किया कि मथुरा स्थित एक ही संपत्ति को लेकर 15 से अधिक मुकदमे विभिन्न हिंदू पक्षों द्वारा अलग-अलग दावों के साथ दायर किए गए हैं। मस्जिद कमेटी ने आरोप लगाया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एएसआई और गृह मंत्रालय को बिना किसी औपचारिक आवेदन के प्रतिवादी बनाने की अनुमति देकर प्रक्रिया के नियमों का उल्लंघन किया है।
पहले भी जारी हो चुका है नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 4 अप्रैल को भी मथुरा विवाद से जुड़े सभी हिंदू पक्षों के मुकदमों को एकीकृत करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी की एक अलग याचिका पर नोटिस जारी किया था।
गौरतलब है कि यह विवाद मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल के दौरान निर्मित शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जिसके बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर बने एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी

VIKAS TRIPATHI
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