नई दिल्ली — देश में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी उद्योग पर अब सुप्रीम कोर्ट की नजर है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या इन प्लेटफार्मों को पूरी तरह प्रतिबंधित (बैन) किया जा सकता है। कोर्ट ने यह सवाल एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान उठाया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जुआ और सट्टेबाजी की वेबसाइटें सोशल या ई-स्पोर्ट्स गेम्स की आड़ में चल रही हैं।
यह सुनवाई जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने की। अदालत ने केंद्र से कहा कि वह इस मुद्दे पर कोर्ट की सहायता करे और दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करे।
याचिका में क्या कहा गया?
यह याचिका सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (CASC) की ओर से दायर की गई थी। याचिका में देशभर में ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी प्लेटफार्मों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। संगठन का कहना है कि कई कंपनियां ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग के नाम पर वास्तव में जुए और मनी गेम्स को बढ़ावा दे रही हैं।
कोर्ट ने CASC के वकील से कहा कि वे मामले की पूरी फाइल केंद्र सरकार के वकील वी.सी. भारती को सौंपें ताकि अगली सुनवाई में सरकार इस पर अपना पक्ष रख सके।
कानून की व्याख्या की भी मांग
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में वकील विराग गुप्ता और रूपाली पंवार के माध्यम से दाखिल की गई थी। इसमें यह भी अनुरोध किया गया है कि कोर्ट हाल ही में लागू प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 की स्पष्ट व्याख्या करे — और यह सुनिश्चित करे कि यह कानून उन राज्यों के नियमों के अनुरूप लागू हो, जहाँ पहले से जुआ और सट्टेबाजी पर रोक है।
“क्रिकेटर और एक्टर कर रहे हैं प्रमोशन”
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ऑनलाइन मनी गेम्स से देश में गंभीर सामाजिक और आर्थिक समस्याएं पैदा हो रही हैं। इनसे न केवल लोगों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि जुए की लत, मानसिक तनाव, और आत्महत्या जैसे मामले भी बढ़े हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि कई क्रिकेटर और फिल्म अभिनेता इन प्लेटफार्मों का विज्ञापन कर साइबर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों को परोक्ष रूप से बढ़ावा दे रहे हैं।
कोर्ट की टिप्पणी और अगली सुनवाई
17 अक्टूबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार इस विषय पर प्रत्यक्ष जांच की पहल की। कोर्ट ने कहा कि यह जानना जरूरी है कि क्या केंद्र सरकार के पास इतना कानूनी अधिकार है कि वह पूरे देश में ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगा सके।
इस मामले में आने वाले दिनों में कोर्ट का निर्णय देश की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के भविष्य को दिशा देने वाला साबित हो सकता है।














