
सीबीआई (CBI) ने भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के वरिष्ठ अधिकारी अमित कुमार सिंघल और कारोबारी हर्ष कोटक को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। मामला आयकर विभाग से टैक्स में राहत दिलाने के बदले ₹45 लाख की घूस मांगने से जुड़ा है।
चार राज्यों में छापेमारी, करोड़ों की संपत्ति उजागर
सीबीआई की टीमों ने दिल्ली, मोहाली, मुंबई और पंजाब में कुल मिलाकर कई ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान बरामद हुईं भारी मात्रा में संपत्तियाँ और नकदी ने अधिकारियों को भी चौंका दिया:
- 3.5 किलो सोना और 2 किलो चांदी (कुल कीमत लगभग ₹3.5 करोड़)
- ₹1 करोड़ कैश
- 25 बैंक खातों और एक लॉकर के दस्तावेज
- दिल्ली, मुंबई और पंजाब में अचल संपत्तियों के दस्तावेज
कौन हैं अमित कुमार सिंघल?
गिरफ्तार अफसर अमित कुमार सिंघल, 2007 बैच के IRS अधिकारी हैं। वो फिलहाल दिल्ली स्थित ITO की CR बिल्डिंग में डायरेक्टरेट ऑफ टैक्सपेयर सर्विसेज में एडिशनल डायरेक्टर जनरल के पद पर कार्यरत थे। इस पद पर रहते हुए उन्हें करदाताओं की समस्याएं सुलझाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उल्टा कर राहत के बदले रिश्वत मांगने की शर्मनाक हरकत की।
शिकायतकर्ता ने खोली पोल
31 मई 2025 को एक कारोबारी ने CBI में शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें आरोप लगाया गया कि सिंघल ने आयकर विभाग से राहत दिलाने के बदले उससे ₹45 लाख की रिश्वत की मांग की। इतना ही नहीं, अफसर ने धमकी भी दी कि यदि पैसे नहीं दिए तो कानूनी कार्रवाई, भारी जुर्माना और बार-बार नोटिसों के जरिए परेशान किया जाएगा।
रंगे हाथों पकड़ा गया रिश्वतखोर
CBI ने एक ट्रैप रचकर हर्ष कोटक को मोहाली स्थित अधिकारी के घर पर रिश्वत लेते वक्त रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद सिंघल को दिल्ली के वसंत कुंज स्थित उसके आवास से गिरफ्तार किया गया। दोनों आरोपियों को 1 जून को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
जांच जारी, और खुलासों की उम्मीद
CBI अधिकारियों के अनुसार, अभी तक जो संपत्ति सामने आई है उसका मूल्यांकन किया जा रहा है। इस मामले से यह स्पष्ट है कि सरकारी व्यवस्था के ऊंचे ओहदों पर बैठे कुछ अफसर किस तरह भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। आने वाले दिनों में मनी ट्रेल, अन्य संलिप्त लोगों और लॉकरों की जांच के बाद और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
यह मामला क्यों है अहम?
- यह केस दर्शाता है कि कैसे करदाताओं की सेवा के नाम पर भ्रष्ट अफसरों ने तंत्र को घूसखोरी का अड्डा बना रखा है।
- इस घटना ने IRS जैसे प्रतिष्ठित सेवा वर्ग की छवि को धूमिल किया है।
- CBI की इस सख्त कार्रवाई से एक स्पष्ट संदेश गया है कि ऊंचे पदों पर बैठे भ्रष्ट अफसर भी बख्शे नहीं जाएंगे।
आने वाले अपडेट:
- संपत्तियों की वास्तविक कीमत का मूल्यांकन
- डिजिटल लेन-देन और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच
- अन्य संभावित आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी

VIKAS TRIPATHI
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