सेमीकॉन इंडिया 2025: पीएम मोदी ने खोला भारत की चिप क्रांति का दरवाज़ा, 48 देशों के 20,000 से अधिक प्रतिभागी शामिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) से तीन दिवसीय सम्मेलन SEMICON India 2025 का औपचारिक उद्घाटन करेंगे। यह कार्यक्रम 2 से 4 सितम्बर, 2025 तक चलेगा और इसका उद्देश्य भारत में एक मजबूत, सशक्त और टिकाऊ सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) का निर्माण और वैश्विक साझेदारी को गति देना है।
सम्मेलन का फोकस व सत्र
SEMICON India 2025 में सेमीकंडक्टर कार्यक्रम की प्रगति, फैब (fabrication) और एडवांस पैकेजिंग परियोजनाएँ, इन्फ्रास्ट्रक्चर की तैयारी, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, R&D व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नवाचार, निवेश के अवसर, तथा राज्य-स्तरीय नीतियों के क्रियान्वयन पर सत्र आयोजित किये जा रहे हैं। साथ ही डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना, स्टार्टअप इको-सिस्टम और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर समर्पित चर्चा व कार्यशालाएँ भी होंगी। आयोजन का विस्तृत एजेंडा और सत्र-सूची आयोजकों द्वारा जारी की गई है।
भागीदारी और पैमाना
सरकारी बयानों के अनुसार इस बार प्रदर्शन और सम्मिलन का पैमाना रिकॉर्ड स्तर पर होगा — कुल मिलाकर 20,750 से अधिक प्रतिभागी, 2,500 से अधिक प्रतिनिधि (delegates) 48 से अधिक देशों से आएंगे; साथ ही 150+ वक्ता, 50 से अधिक वैश्विक नेता/सीएक्सओ और 350 से अधिक प्रदर्शक (exhibitors) उपस्थित होंगे। कार्यक्रम में छह देशों के राउंड-टेबल चर्चाएँ और कई देश पवेलियन भी होंगे। ये आँकड़े आयोजन की व्यापक अंतरराष्ट्रीय पहुँच और निवेश-केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा दिखाते हैं।
Design-Linked Incentive (DLI) और सरकार की पहलें
भारत सरकार ने डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना के तहत सेमीकंडक्टर डिजाइन और प्रोटोटाइपिंग को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं को मंजूरी दी है। हाल ही में DLI के तहत कई (उल्लेखनीय रूप से 23) चिप-डिजाइन परियोजनाओं को स्वीकृति मिली है जो स्टार्टअप्स और MSMEs के डिजाइन-समर्थन तथा व्यावसायीकरण को मज़बूत करेंगी। DLI का उद्देश्य घरेलू डिजाइन क्षमता बढ़ाना और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना है।
जापान यात्रा और टेक्नोलॉजी साझेदारी — प्रसंगिकता
प्रधानमंत्री मोदी की हाल की जापान यात्रा से उम्मीद है कि सेमीकंडक्टर सहयोग और तेज़ होगा। टोक्यो इलेक्ट्रॉन (Tokyo Electron Miyagi Ltd.) के आधुनिक संयंत्र का पीएम द्वारा दौरा और दोनों देशों के बीच 21 समझौतों पर हस्ताक्षर इस क्षेत्र में भारत-जापान रणनीतिक साझेदारी को उजागर करते हैं — खासकर सेमीकंडक्टर उपकरण, मटेरियल और कौशल विकास में सहयोग। यह सहयोग भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक सप्लाई-चेन में विविधता लाने के लक्ष्य से मेल खाता है।
पिछली सफलताएँ और शृंखला
SEMICON India अब चौथा संस्करण है — इससे पहले 2022 में बंगलौर (Bengaluru), 2023 में गांधीनगर (Gandhinagar) और 2024 में ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में आयोजन हो चुका है। हर बार प्रदर्शन और सहभागिता बढ़ी है, जो इस क्षेत्र में भारत की लगातार बढ़ती साख को दर्शाता है।
सरकार के उद्देश्य और अपेक्षित घोषणाएँ
इस सम्मेलन के दौरान सरकार और इंडस्ट्री से अपेक्षा है कि नए निवेश घोषणाएँ, छोटी-मोटी फैक्ट्रियों (mini fabs), एडवांस पैकेजिंग व सगठनात्मक (workforce & skilling) पहल, और कुछ नीतिगत घोषणाएँ की जा सकती हैं — खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ पर वैश्विक भागीदार तकनीकी-हस्तांतरण या उपकरण-निवेश कर सकते हैं। ISM और MeitY की योजनाएँ जैसे PLI/Design incentives और हाल में स्वीकृत परियोजनाएँ इस परिप्रेक्ष्य को मजबूती देती हैं।
आर्थिक असर और दीर्घकालिक महत्व
विश्लेषकों का मानना है कि सफल निष्पादन से घरेलू चिप-डिजाइन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, रोज़गार और उच्च-मूल्यवर्गीय विनिर्माण (high-value manufacturing) में वृद्धि होगी, तथा भारत की चाइना-निर्भरता कुछ हद तक कम हो सकेगी। प्रधानमंत्री ने भी हाल में कहा था कि देश के बने चिप्स 2025 के अंत तक बाज़ार में दिखने लगेंगे — यह लक्ष्य भारत की सेल्फ-रिलायंस रणनीति की महत्वाकांक्षा को स्पष्ट करता है।
न्याय-विकास चुनौतियाँ और जोखिम
हालाँकि अवसर बड़े हैं, पर भारत को फ़ैब्रिकेशन में निवेश, तकनीकी-किरण (tech know-how), आपूर्ति-शृंखला-इकोसिस्टम, और कुशल मानव संसाधन विकसित करने की चुनौती भी है। उचित भूमि, पानी, ऊर्जा, और लॉजिस्टिक्स की उपलब्धता के साथ-साथ लंबे-अवधि निवेश के लिए नीतिगत स्थिरता जरूरी होगी। आयोजक और नीति-निर्माता इन पहलुओं पर भी चर्चा करने के लिये सम्मेलन का उपयोग करेंगे।
SEMICON India 2025 उस महत्वपूर्ण मोड़ पर हो रहा है जहाँ नीतियाँ, वैश्विक साझेदारियाँ और घरेलू क्षमता को एक साथ जोड़कर भारत को सेमीकंडक्टर मानचित्र पर स्थापित करने का अवसर मिलता है। तीन दिनों के दौरान जिन घोषणाओं और समझौतों पर जोर दिया जाएगा, वे न केवल निवेश बल्कि शिक्षा-प्रशिक्षण, विनिर्माण और तकनीकी सहयोग के नए मार्ग खोल सकते हैं।














