कन्नूर/नागपुर, 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) — राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ पर केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने संघ की तुलना इजरायली ज़ायनवादियों से करते हुए इसे विवादित बयान दे दिया है। बुधवार को कन्नूर में एक जनसभा संबोधित करते हुए विजयन ने कहा, “इजराइल में यहूदी और भारत में आरएसएस — दोनों जुड़वां भाई हैं,” और संघ की आलोचना की।
विजयन ने इस मौके पर न केवल आरएसएस पर निशाना साधा बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई अडान पर प्रधानमंत्री ने चुप्पी साधी रहे और उन्हें “ट्रंप का विनम्र सेवक” बताया। विजयन ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब ट्रंप प्रशासन ने कुछ भारतीयों को हथकड़ी लगा कर लौटाया और वीजा शुल्क बढ़ाया, तब प्रधानमंत्री ने एक शब्द भी नहीं कहा। उन्होंने यह भी कहा कि जब अमेरिकी प्रशासन ने भारत से आयातित वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाया तब भी कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
इससे पहले विजयन ने प्रधानमंत्री द्वारा आरएसएस के योगदान दर्शाने के लिए विशेष डाक टिकट और 100 रुपये के सिक्के जारी करने की आलोचना भी की थी। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन करते हैं और ऐसे संगठन को वैधता देते हैं जिसने स्वतंत्रता संग्राम से दूरी रखी और विभाजनकारी विचारधारा को बढ़ावा दिया। विजयन ने इसे “संविधान का अपमान” करार दिया।
वहीं आरएसएस ने अपनी शताब्दी के अवसर पर 2 अक्टूबर — विजयदशमी के दिन नागपुर स्थित मुख्यालय में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया। संगठन के अनुसार इस कार्यक्रम में 20,000 से अधिक स्वयंसेवक और कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शताब्दी पर एक लेख भी लिखा, जिसमें उन्होंने संघ का प्रथम उद्देश्य राष्ट्र के विकास से जोड़ते हुए संघ की भूमिका पर प्रकाश डाला।
दोनों पक्षों के बयान राजनीतिक बहस और सार्वजनिक विमर्श का केंद्र बने हुए हैं — एक ओर संघ के शताब्दी समारोह को लेकर उत्सव और आत्ममंथन, दूसरी ओर विपक्षी नेताओं की आलोचनाएँ और संवैधानिक सवाल।