
Attacks On Bangladeshi Hindu: बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार लगातार यह दावा कर रही है कि वहां अल्पसंख्यकों और हिंदुओं पर कोई अत्याचार नहीं हो रहे हैं। लेकिन भारत सरकार ने इन दावों की पोल खोल दी है। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा पर अंतरिम सरकार का इनकार झूठा साबित हुआ है।
भारत ने संसद में पेश किए चौंकाने वाले आंकड़े
भारत के विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने संसद में एक लिखित जवाब में बताया कि इस साल 8 दिसंबर तक बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर 2200 हमले हुए हैं। वहीं, पाकिस्तान में इस दौरान 112 हमले दर्ज किए गए। ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि बांग्लादेश अब “नया पाकिस्तान” बनता जा रहा है, जहां अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।
भारत ने जताई गंभीर चिंता
विदेश मंत्री ने बताया कि बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों को आधिकारिक पत्र लिखकर वहां हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की गई है। भारत सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है और पड़ोसी देशों की सरकारों से अपनी चिंताओं को साझा किया है। विदेश सचिव ने अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान भी यह संदेश दिया था कि अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। ढाका स्थित भारतीय दूतावास भी इन घटनाओं पर करीब से नजर रख रहा है।
बांग्लादेश और पाकिस्तान में हमलों के आंकड़े
विदेश मंत्रालय ने पिछले कुछ वर्षों में अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों के आंकड़े संसद में प्रस्तुत किए:
साल | बांग्लादेश | पाकिस्तान |
---|---|---|
2022 | 47 | 241 |
2021 | 302 | 103 |
2024 | 2200 | 112 |
बांग्लादेश के दावों की सच्चाई
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार यह मानने को तैयार नहीं है कि वहां हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं। लेकिन भारत द्वारा प्रस्तुत आंकड़े इस बात को स्पष्ट करते हैं कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह पड़ोसी देशों में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए अपनी आवाज उठाती रहेगी।
भारत की उम्मीद
भारत ने बांग्लादेश सरकार से अपील की है कि वह अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। भारत यह उम्मीद करता है कि बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों का पालन करेगा और अल्पसंख्यकों को सुरक्षित माहौल प्रदान करेगा।
यह मामला न केवल पड़ोसी देशों के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चिंता का विषय है। भारत सरकार की तत्परता और सख्त रुख इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

VIKAS TRIPATHI
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