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Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS): भारत का एक प्रमुख सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है, जिसकी स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संघ का उद्देश्य भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत करना और समाज में नैतिकता, अनुशासन व सेवा-भाव को बढ़ावा देना है। यह संगठन हिंदुत्व विचारधारा के आधार पर कार्य करता है, लेकिन इसकी गतिविधियाँ केवल धार्मिक सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। RSS सामाजिक सेवा, आपदा राहत, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सांस्कृतिक पुनर्जागरण जैसे कई क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाता है।
हालांकि, RSS को लेकर समाज में कई भ्रांतियाँ और विवाद भी हैं। कुछ लोग इसे सांप्रदायिक संगठन मानते हैं, जबकि इसके समर्थक इसे भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का संवाहक मानते हैं। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि RSS क्या है, यह कैसे काम करता है, इसकी शाखाएँ कौन-कौन सी हैं, और इतनी बड़ी संस्था होने के बावजूद इसका रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं हुआ।
RSS क्या है?
RSS एक राष्ट्रवादी संगठन है, जो स्वयंसेवकों के माध्यम से समाज में अनुशासन, सेवा और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार करता है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को एक संगठित, सशक्त और सांस्कृतिक रूप से जागरूक राष्ट्र बनाना है। संघ का मानना है कि हिंदू संस्कृति और परंपराएँ भारतीय सभ्यता की आधारशिला हैं, जिन्हें संरक्षित और विकसित करने की आवश्यकता है।
संघ अपने स्वयंसेवकों को नैतिकता, अनुशासन, और राष्ट्रभक्ति की शिक्षा देता है। इसका कार्यक्षेत्र शिक्षा, सामाजिक सेवा, स्वास्थ्य, आपदा राहत और गौ-संरक्षण तक विस्तारित है।
RSS पंजीकृत (रजिस्टर्ड) संगठन क्यों नहीं है?
RSS एक अनौपचारिक संगठन है, जो किसी सरकारी पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) के तहत नहीं आता। इसके पीछे कई कारण हैं—
1. स्वतंत्र कार्यशैली – RSS सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और औपचारिकताओं से बंधना नहीं चाहता। अगर यह एक पंजीकृत संस्था होती, तो इसे कानूनी बाध्यताओं और सरकारी हस्तक्षेप का सामना करना पड़ सकता था।
2. स्वयंसेवक आधारित संगठन – RSS में कोई औपचारिक सदस्यता प्रणाली नहीं है। इसमें शामिल लोग इसे व्यक्तिगत रूप से अपनाते हैं और सेवा कार्यों में भाग लेते हैं।
3. कोई वित्तीय लेन-देन नहीं – संघ का संचालन किसी बड़े आर्थिक ढांचे पर आधारित नहीं है। यह स्वयंसेवकों के सहयोग और योगदान से चलता है।
4. ऐतिहासिक कारण – आज़ादी के बाद कई बार RSS पर प्रतिबंध लगाए गए। यदि यह पंजीकृत संस्था होती, तो सरकारी हस्तक्षेप के कारण इसके कार्यों में बाधाएँ आतीं।
संक्षेप में, RSS अपनी स्वतंत्र पहचान और कार्यप्रणाली बनाए रखने के लिए स्वयं को किसी भी कानूनी पंजीकरण से दूर रखता है।
RSS कैसे काम करता है?
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RSS का कार्य पद्धति अनुशासन और सेवा-भावना पर आधारित है। इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं—
- शाखाएँ (Daily Meetings)
संघ की सबसे महत्वपूर्ण इकाई ‘शाखा’ है। ये प्रतिदिन या साप्ताहिक रूप से आयोजित होती हैं, जहां स्वयंसेवक एकत्र होते हैं और शारीरिक व्यायाम, योग, बौद्धिक चर्चा और राष्ट्रभक्ति से जुड़े कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
- सेवा कार्य (Social Service)
RSS शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, और गरीबों की सहायता के लिए कई परियोजनाएँ चलाता है। इसके कार्यों में—
• गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना
• स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन
• ग्रामीण विकास कार्यक्रम
• गौ-रक्षा और पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं।
- आपदा राहत (Disaster Relief)
RSS ने कई प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए—
• 2001 में गुजरात भूकंप राहत अभियान
• 2004 में सुनामी राहत कार्य
• 2013 में उत्तराखंड बाढ़ राहत अभियान
- सांस्कृतिक पुनर्जागरण (Cultural Awareness)
संघ भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करता है। यह मंदिर संरक्षण, धार्मिक आयोजनों में सहयोग, और भारतीय भाषाओं व साहित्य को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
- शिक्षा और चरित्र निर्माण (Education & Character Building)
RSS ने कई शिक्षण संस्थान और गुरुकुल स्थापित किए हैं, जिनका उद्देश्य भारतीय मूल्यों और संस्कारों को बच्चों में विकसित करना है। उदाहरण के लिए—
• विद्या भारती (Vidya Bharati)
• सरस्वती शिशु मंदिर
RSS की प्रमुख शाखाएँ (संगठन)
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RSS के अंतर्गत कई सहयोगी संगठन काम करते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं। कुछ प्रमुख शाखाएँ इस प्रकार हैं—
1. भारतीय जनता पार्टी (BJP) – यह संघ की राजनीतिक शाखा मानी जाती है।
2. विश्व हिंदू परिषद (VHP) – हिंदू धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत।
3. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) – छात्रों के बीच राष्ट्रवादी विचारधारा को बढ़ावा देने वाला संगठन।
4. सेवा भारती – सामाजिक सेवा और गरीबों की मदद करने के लिए गठित।
5. संस्कृत भारती – संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए।
6. स्वदेशी जागरण मंच – आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए।
RSS सिर्फ बीजेपी को ही क्यों समर्थन करता है?
RSS स्वयं को एक गैर-राजनीतिक संगठन कहता है, लेकिन इसका झुकाव भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर अधिक है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं—
1. विचारधारा की समानता – BJP और RSS दोनों ही हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की विचारधारा को मानते हैं।
2. संघ से जुड़े नेता – BJP के कई प्रमुख नेता (जैसे नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी) संघ से जुड़े रहे हैं।
3. राजनीतिक स्थिरता – संघ चाहता है कि भारत में एक स्थिर सरकार हो, जो हिंदू संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करे।
हालांकि, संघ दावा करता है कि वह किसी भी राजनीतिक दल से औपचारिक रूप से जुड़ा नहीं है और केवल राष्ट्रहित को प्राथमिकता देता है।
RSS को लेकर भ्रांतियाँ क्यों हैं?
RSS को लेकर कई भ्रांतियाँ और विवाद प्रचलित हैं। कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं—
1. सांप्रदायिकता का आरोप – कुछ लोग RSS को सांप्रदायिक संगठन मानते हैं, जबकि संघ इसे ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ कहता है।
2. गांधीजी की हत्या से जोड़ना – महात्मा गांधी की हत्या के बाद RSS पर प्रतिबंध लगाया गया था, हालांकि इसे किसी भी जांच में दोषी नहीं पाया गया।
3. गोपनीय कार्यशैली – संघ की कार्यप्रणाली गुप्त और अनुशासित होती है, जिससे इसे लेकर कई मिथक बन जाते हैं।
4. राजनीतिक जुड़ाव – संघ का झुकाव BJP की ओर अधिक होने के कारण अन्य दलों के समर्थकों से विरोध झेलना पड़ता है।
RSS भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जो राष्ट्रवाद, अनुशासन और सेवा के मूल्यों पर आधारित है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा राहत और सांस्कृतिक पुनर्जागरण जैसे कई क्षेत्रों में कार्य करता है।
हालांकि, RSS को लेकर समाज में कई भ्रांतियाँ भी हैं, लेकिन इसे समझने के लिए गहराई से अध्ययन करना आवश्यक है। संघ की विचारधारा और कार्यशैली को केवल मीडिया रिपोर्ट्स या राजनीतिक नजरिए से देखने की बजाय उसके वास्तविक कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
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VIKAS TRIPATHI
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