संसद के शीतकालीन सत्र में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को रेखांकित करते हुए कहा कि स्वाधीनता, स्वराज और संविधान— यही भारत की आज़ादी की लड़ाई की बुनियाद रहे हैं और यही आज के भारतीय लोकतंत्र की आत्मा हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र और चुनावी सुधारों का मूल आधार है— हर नागरिक को वोट का अधिकार और उसी वोट से चुनी गई सरकार। लेकिन देश में वोट के अधिकार को लेकर शुरू से ही दो अलग-अलग विचारधाराएं रही हैं।
वोट के अधिकार को लेकर दो सोच
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पहली सोच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की रही है। इस सोच को वर्ष 1928 की पंडित मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया था। इसके बाद 1931 के कांग्रेस के कराची अधिवेशन में संकल्प लिया गया कि भारत के हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के वोट का अधिकार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि उस समय यह साफ कर दिया गया था कि वोट का अधिकार न तो शिक्षा पर निर्भर होगा, न संपत्ति पर, न जाति पर, न धर्म पर और न ही किसी अन्य भेदभाव पर।
लेकिन इसके उलट एक दूसरी सोच भी थी, जो मानती थी कि अशिक्षित जनता को वोट का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। सुरजेवाला ने कहा कि ये विचार एक ऐसे व्यक्ति के थे, जिन्हें आज भी देश की एक बड़ी राजनीतिक पार्टी और संसद में बैठे कई लोग “गुरुजी” कहकर संबोधित करते हैं।
लोकतंत्र को कमजोर मत कीजिए
सुरजेवाला ने चेतावनी देते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र तीन मजबूत स्तंभों पर खड़ा है—
1.हर नागरिक को वोट देने का अधिकार
2.स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाला चुनाव आयोग
3.संविधान और उसकी स्वतंत्र संस्थाओं की मजबूती
उन्होंने कहा कि जब तक ये तीनों स्तंभ मजबूत हैं, तब तक भारतीय लोकतंत्र जीवित है। लेकिन अगर इन स्तंभों को मनमर्जी से कमजोर किया गया, उन पर कब्जा किया गया या उन्हें छीन लिया गया, तो लोकतंत्र केवल एक दिखावा बनकर रह जाएगा।
वोट का अधिकार लोकतंत्र की आत्मा है
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वोट का अधिकार लोकतंत्र की आत्मा है, और आत्मा के बिना कोई भी शरीर जीवित नहीं रह सकता। वोटर केवल मतदाता सूची में छपा एक नाम नहीं होता, बल्कि वही चुनावी न्याय और लोकतांत्रिक नतीजों का असली चेहरा होता है।
उन्होंने चेताया कि अगर किसी साजिश या बदनीयत के तहत चुन-चुनकर लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाते हैं, तो यह लोकतंत्र के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा।














