रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना की राजस्व खरीद प्रक्रिया को और सरल, पारदर्शी और आधुनिक बनाने के लिए रक्षा खरीद नियमावली (Defence Procurement Manual – DPM 2025) को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं में एकजुटता बढ़ाना और त्वरित निर्णय प्रक्रिया के ज़रिए उच्चतम स्तर की सैन्य तैयारियों को सुनिश्चित करना है।
समय पर संसाधन, उचित लागत पर उपलब्ध होंगे
DPM-2025 यह सुनिश्चित करेगा कि सशस्त्र बलों को उनकी आवश्यकतानुसार संसाधन समय पर और उचित लागत पर उपलब्ध हों। इससे न केवल सैन्य क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए सेनाओं को आवश्यक लचीलापन भी मिलेगा।
व्यापार सुगमता और आत्मनिर्भर भारत पर फोकस
मंत्रालय ने कहा कि नई नियमावली में Ease of Doing Business को और मजबूत किया गया है। इसका उद्देश्य रक्षा उत्पादन और तकनीक में आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) को बढ़ावा देना है। इसके तहत निजी कंपनियों, MSMEs, स्टार्टअप्स के साथ-साथ Defence Public Sector Undertakings (DPSUs) की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। इससे देश के घरेलू बाज़ार, विशेषज्ञता और क्षमता का अधिकतम उपयोग होगा।
एक दशक बाद बड़े बदलाव
रक्षा सेवाओं और मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संगठनों की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद DPM के तहत होती है। इसे आखिरी बार 2009 में लागू किया गया था। तब से बदलते समय और ज़रूरतों को देखते हुए मंत्रालय लगातार परामर्श कर रहा था। अब संशोधित नियमावली नए युग की आवश्यकताओं के अनुरूप लाई गई है।
क्या है DPM की भूमिका?
यह मंत्रालय की राजस्व खरीद प्रक्रिया को संचालित करता है।
केवल चालू वित्त वर्ष में ही इसके तहत लगभग 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य की खरीद की जाएगी।
इसमें नवीनतम तकनीकी साधनों का उपयोग करते हुए खरीद प्रक्रिया में निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को अनिवार्य किया गया है।
क्यों अहम है DPM-2025?
नई नियमावली से:
सशस्त्र बलों की तैयारी और गति में सुधार होगा।
रक्षा खरीद प्रक्रिया सरल और तेज़ होगी।
निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी बढ़ेगी।
‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को रक्षा क्षेत्र में मज़बूत आधार मिलेगा।
तीनों सेनाओं की जरूरतों पर फोकस
आधिकारिक बयान के मुताबिक, डीपीएम 2025 का मकसद थलसेना, नौसेना और वायुसेना की एकजुटता को बढ़ावा देना है। साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि सेनाओं को ज़रूरी संसाधन समय पर और उचित लागत पर मिलें, ताकि देश की सैन्य तैयारी सर्वोच्च स्तर पर बनी रहे।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि नया नियमावली ढांचा न केवल सेना की ज़रूरतों को पूरा करेगा, बल्कि ‘Ease of Doing Business’ को भी मज़बूती देगा। इसका उद्देश्य है कि भारत रक्षा उत्पादन और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) हासिल कर सके। इसके तहत निजी कंपनियों, MSMEs, स्टार्ट-अप्स और DPSUs की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि घरेलू बाज़ार की क्षमता, विशेषज्ञता और कौशल का पूरा इस्तेमाल हो सके।
कब हुई थी आखिरी बार संशोधन?
रक्षा सेवाओं और मंत्रालय के अन्य संगठनों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद डीपीएम के नियमों से ही होती है। यह नियमावली आखिरी बार 2009 में लागू की गई थी। इसके बाद लगातार बदलते हालात और आधुनिक युद्ध की चुनौतियों को देखते हुए इसमें संशोधन की ज़रूरत महसूस की जा रही थी।