Thursday, July 31, 2025
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राहुल गांधी की ‘माफी’ पर मायावती का तीखा वार: कहा, कांग्रेस की नीयत में खोट, पिछड़ों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रही है

नई दिल्ली/लखनऊ – कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा ओबीसी समाज से माफ़ी मांगने और पिछड़े वर्गों के मुद्दों पर कांग्रेस की विफलता स्वीकारने पर अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने राहुल गांधी पर “स्वार्थ की राजनीति” करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों को जातिवादी करार दिया।

मायावती का हमला: “दिल में कुछ, ज़ुबान पर कुछ और”

मायावती ने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:“लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा यह स्वीकारना कि कांग्रेस ओबीसी समाज को उसका संवैधानिक हक दिलाने में नाकाम रही, कोई नई बात नहीं है। बल्कि यह ‘दिल में कुछ, ज़ुबान पर कुछ और’ वाली स्वार्थपरक राजनीति का हिस्सा लगता है।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ऐसा रवैया एससी-एसटी समाज के साथ भी लंबे समय तक रहा है, जिससे दुखी होकर इन वर्गों को बसपा जैसी अलग पार्टी बनानी पड़ी।“कांग्रेस की यह नीति और नीयत दोनों ही संदिग्ध रही हैं, और सत्ता से बाहर होने के बाद अब इन वर्गों की याद आना घड़ियाली आंसुओं से अधिक कुछ नहीं।”

“बीजेपी और कांग्रेस – एक ही थाली के चट्टे-बट्टे”

मायावती ने बीजेपी पर भी निशाना साधा और कहा कि मौजूदा हालात में एनडीए सरकार का भी पिछड़ों के प्रति रवैया “दोहरे चरित्र” वाला है।
उन्होंने आरोप लगाया कि:“देश की आज़ादी के बाद कांग्रेस ने 40 वर्षों तक ओबीसी आरक्षण नहीं दिया, एससी-एसटी पदों को खाली रखा, बाबा साहेब को भारत रत्न तक नहीं दिया। जातिवादी सोच आज भी जारी है।”

उन्होंने कहा कि इन सभी जातिवादी दलों ने आपसी गठजोड़ से आरक्षण को निष्क्रिय कर दिया है और बहुजन समाज को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से लाचार बनाए रखने का षड्यंत्र किया है।

“बीएसपी ही सच्ची हितैषी पार्टी”

मायावती ने दावा किया कि बसपा ही एकमात्र पार्टी है जिसने दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के स्वाभिमान और हक़ की वास्तविक लड़ाई लड़ी है। उन्होंने यूपी में बीएसपी शासन के दौरान जन-सुरक्षा, धर्मिक स्वतंत्रता और कल्याण योजनाओं को लेकर अपनी सरकार का उदाहरण भी दिया।

राहुल गांधी ने क्या कहा था?

शुक्रवार को कांग्रेस के ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में राहुल गांधी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि वह और उनकी पार्टी ओबीसी वर्ग के मुद्दों को पूरी तरह नहीं समझ सके और न ही उचित स्तर पर उठाया।

“यह कांग्रेस की नहीं, मेरी गलती है। मैं इसे सुधारने जा रहा हूं,” राहुल ने कहा।

उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों के अधिकारों को लेकर उनकी समझ पहले सीमित थी, लेकिन अब वह बदलाव की ओर गंभीरता से कदम बढ़ा रहे हैं।


यह विवाद ऐसे समय में उभरा है जब जातिगत जनगणना, आरक्षण और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे आने वाले विधानसभा चुनावों और 2029 के आम चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं।


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