
मुंबई, 7 मार्च 2025:
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को मुंबई के धारावी का दौरा किया और वहां चमड़ा उद्योग से जुड़े कारीगरों व उद्यमियों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ‘चमार स्टूडियो’ के संस्थापक सुधीर राजभर और उनकी टीम से मुलाकात कर उनके काम को सराहा। राहुल गांधी ने इस स्टूडियो को देशभर के युवा दलित उद्यमियों के लिए प्रेरणास्रोत बताया और कहा कि यह मॉडल पारंपरिक कारीगरी और आधुनिक उद्यमिता के संयोजन का बेहतरीन उदाहरण है, जिसे पूरे भारत में अपनाया जा सकता है।
“चमार स्टूडियो” मॉडल की सराहना, पारंपरिक कारीगरी को नया आयाम देने की वकालत
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी इस यात्रा की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा,
“सुधीर राजभर देश के लाखों दलित युवाओं के जीवन और यात्रा को समेटे हुए हैं। वे प्रतिभा के धनी हैं, नई सोच रखते हैं और सफलता की भूख उनमें स्पष्ट दिखाई देती है। हालांकि, समाज के अभिजात्य वर्ग तक उनकी पहुंच और अवसर सीमित हैं। लेकिन, उन्होंने धारावी के कारीगरों के हुनर को पहचाना और उनके साथ मिलकर एक ऐसा ब्रांड तैयार किया, जो आज वैश्विक फैशन इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना चुका है।”
राहुल गांधी ने पारंपरिक कारीगरी और आधुनिक उद्यमिता के तालमेल पर जोर देते हुए कहा कि,
“चमार स्टूडियो की सफलता यह दर्शाती है कि अगर पारंपरिक शिल्प कौशल को नए विचारों और इनोवेशन के साथ जोड़ा जाए, तो इससे लाखों कुशल कारीगरों को वह पहचान और सफलता मिल सकती है, जिसके वे हकदार हैं।”
उन्होंने धारावी के चमड़ा उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों से उनकी परेशानियों और चुनौतियों के बारे में भी चर्चा की। राहुल गांधी ने कहा कि यह दौरा उद्योग की वास्तविकताओं को समझने और उनके साथ बेहतर भविष्य के लिए विचार-विमर्श करने का एक महत्वपूर्ण अवसर था।
समावेशी उत्पादन नेटवर्क की जरूरत पर जोर
धारावी में समय बिताने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें सुधीर राजभर और उनकी टीम के साथ काम करने का अवसर मिला और इस दौरान उन्होंने समावेशी उत्पादन नेटवर्क (Inclusive Production Network) के महत्व को समझा। उन्होंने कहा,
“एक समावेशी उत्पादन नेटवर्क कुशल श्रमिकों को आगे बढ़ाने और उन्हें उनके हक का लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”
उन्होंने इस यात्रा में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से आए अपने मित्र रामचेत मोची को भी सुधीर राजभर से मिलवाया। इस मुलाकात का उद्देश्य परंपरागत शिल्प और आधुनिक डिज़ाइन के मेल से छोटे उद्यमों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के तरीके तलाशना था।
राहुल गांधी ने यह भी याद दिलाया कि उन्होंने लोकसभा में इस विषय पर चर्चा की थी, जहां उन्होंने कहा था कि “एक समृद्ध भारत का निर्माण केवल उत्पादन और भागीदारी के माध्यम से संभव है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चमार स्टूडियो जैसे मॉडल यह साबित करते हैं कि यह दृष्टिकोण काम करता है और आशा जताई कि भारत के अन्य हिस्सों में भी इसे लागू किया जा सकता है।
धारावी – दुनिया के सबसे बड़े चमड़ा उद्योग केंद्रों में से एक
धारावी दुनिया के सबसे बड़े चमड़ा उद्योग केंद्रों में से एक है, जहां 20,000 से अधिक चमड़ा विनिर्माण इकाइयां हैं और इनमें करीब एक लाख से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं। कांग्रेस पार्टी के एक नेता ने बताया कि राहुल गांधी की इस यात्रा का उद्देश्य चमड़ा उद्योग से जुड़े श्रमिकों और उद्यमियों की चुनौतियों को समझना था।
इस दौरान उन्होंने कई विनिर्माण इकाइयों का दौरा किया, जिनमें से एक ‘चमार स्टूडियो’ भी था। राहुल गांधी ने उद्योग से जुड़े मुद्दों को नजदीक से देखने और समझने की कोशिश की और इससे जुड़े उद्यमियों के साथ गहराई से चर्चा की!
गुजरात दौरे के लिए रवाना होंगे राहुल गांधी
राहुल गांधी मुंबई में गुरुवार रात विश्राम करेंगे और शुक्रवार सुबह अहमदाबाद के लिए रवाना होंगे। गुजरात दौरे के दौरान वह स्थानीय व्यापारियों, श्रमिक संगठनों और युवा उद्यमियों से मुलाकात करेंगे और उनकी समस्याओं पर चर्चा करेंगे।
राहुल गांधी की धारावी यात्रा – क्या संकेत मिलते हैं?
राहुल गांधी की धारावी यात्रा को दलित उद्यमिता, पारंपरिक कारीगरी और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। उनकी इस यात्रा से यह संदेश मिलता है कि भारत की परंपरागत हस्तशिल्प और कारीगरी को आधुनिक तकनीक और नवाचार से जोड़कर बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन किया जा सकता है।
उनकी यह पहल भारत के छोटे और मझोले उद्योगों के लिए एक नई दिशा तय कर सकती है, जिससे स्थानीय कारीगरों और पारंपरिक शिल्पकारों को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़ा जा सके।
राहुल गांधी का धारावी दौरा सिर्फ एक यात्रा नहीं बल्कि भारत के कारीगरों और पारंपरिक उद्यमियों को नई संभावनाओं से जोड़ने की एक पहल है। ‘चमार स्टूडियो’ का मॉडल यह दर्शाता है कि यदि पारंपरिक कौशल को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ा जाए, तो इससे वैश्विक पहचान बनाई जा सकती है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस इस मॉडल को अपनी आर्थिक नीति में शामिल करती है और देशभर में कारीगरों, श्रमिकों और पारंपरिक उद्योगों को कैसे समर्थन देती है।