
बेगूसराय | बिहार चुनाव 2025:
बिहार में कांग्रेस की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा सोमवार को एक नए मोड़ पर पहुंच गई, जब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बेगूसराय से एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया। राहुल ने ऐलान किया कि वो “50 फीसदी आरक्षण की दीवार को तोड़कर फेंक देंगे”, जिससे सामाजिक न्याय की दिशा में नई बहस शुरू हो गई है।
उन्होंने कहा, “ये देश सिर्फ 10-15 अमीर और ताकतवर लोग चला रहे हैं। जातीय जनगणना एक क्रांतिकारी कदम है जो देश की असली तस्वीर सामने लाएगा, और इसलिए बीजेपी इसे रोकना चाहती है। लेकिन अब इसे कोई ताकत नहीं रोक सकती।”
बिहार कांग्रेस की पुरानी गलतियों को माना, नए सियासी समीकरण की शुरुआत
राहुल गांधी ने बेगूसराय की रैली में कांग्रेस के अतीत की कमजोरियों को भी खुलकर स्वीकारा। उन्होंने कहा,
“बिहार में कांग्रेस उतना काम नहीं कर पाई जितना करना चाहिए था। पहले हमारे जिलाध्यक्षों में दो तिहाई अपर कास्ट के लोग थे, लेकिन अब हमने पार्टी संरचना में बदलाव किया है — अब दो तिहाई दलित और पिछड़े नेतृत्व में हैं।”
यह बयान न केवल कांग्रेस के सामाजिक समीकरण बदलने की रणनीति का संकेत देता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि पार्टी अब जाति आधारित राजनीति को अपने एजेंडे में केंद्रीय स्थान देने जा रही है।
नेहरू का जिक्र और आरक्षण की सीमा पर खुली बहस
राहुल गांधी ने अपने परदादा और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जिक्र करते हुए कहा,
“मेरे परदादा सच्चाई से मोहब्बत करते थे। हम भी वही रास्ता अपनाएंगे। देश को उसकी असल सच्चाई दिखानी होगी — और वो जातीय जनगणना से ही सामने आएगी।”
50% आरक्षण सीमा तोड़ने का ऐलान राजनीतिक रूप से बेहद बड़ा संकेत है, क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई सीमा से टकराता है और पिछड़े वर्गों को और अधिक प्रतिनिधित्व देने की दिशा में ठोस इरादा दिखाता है।
राजनीतिक विश्लेषण: बिहार में नई कांग्रेस की झलक
बिहार की राजनीति में इस पदयात्रा और राहुल के बयानों से कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह अब सामाजिक न्याय, आरक्षण विस्तार और युवाओं की बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर आक्रामक अंदाज़ में मैदान में उतर रही है। कन्हैया कुमार, जो खुद इस आंदोलन का चेहरा हैं, के साथ राहुल की यह यात्रा कांग्रेस के ग्रासरूट कनेक्शन को फिर से मजबूत करने की कोशिश भी है।