
चंडीगढ़: पंजाब के एडवोकेट जनरल (AG) गुरमिंदर सिंह गैरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 31 मार्च को समाप्त होने वाले कार्यकाल से पहले ही उन्होंने यह निर्णय लिया, जिससे एक ही सरकार में चौथे एडवोकेट जनरल के हटने का नया रिकॉर्ड बन गया। गुरमिंदर सिंह को 6 अक्टूबर 2023 को इस पद पर नियुक्त किया गया था, इससे पहले विनोद घई ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था।
लगातार बदले जा रहे हैं पंजाब के एडवोकेट जनरल
आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार बनने के बाद से पंजाब में AG के पद पर स्थिरता नहीं रही। मार्च 2022 में सत्ता संभालने के वक्त डीएस पटवालिया इस पद पर थे, लेकिन नई सरकार बनने के महज दो दिन बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद अनमोल रतन सिद्धू को एडवोकेट जनरल बनाया गया, लेकिन उन्होंने भी सिर्फ चार महीने (30 जुलाई 2022) में पद छोड़ दिया।
इसके बाद सरकार ने विनोद घई को नया एडवोकेट जनरल नियुक्त किया, लेकिन 5 अक्टूबर 2023 को उन्होंने भी पद से इस्तीफा दे दिया। फिर 6 अक्टूबर 2023 को गुरमिंदर सिंह गैरी को नियुक्त किया गया, लेकिन अब 18 महीने के कार्यकाल के बाद उन्होंने भी पद से त्यागपत्र दे दिया है।
कौन हैं एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह गैरी?
गुरमिंदर सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से लॉ में स्नातक किया और 1989 में वकालत शुरू की। उन्हें 2014 में वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) के रूप में नामित किया गया। वह मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया, यूपीएससी, पंजाब विधानसभा और कई अन्य सरकारी संस्थानों के लिए स्थायी वकील रहे।
संवैधानिक, सेवा मुकदमेबाजी और आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ गुरमिंदर सिंह ने चंडीगढ़, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट में भी कई महत्वपूर्ण मामलों की पैरवी की।
पंजाब सरकार में AG की स्थिरता पर सवाल
लगातार चार एडवोकेट जनरल के इस्तीफे ने पंजाब सरकार के प्रशासनिक फैसलों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह सिर्फ संयोग है या सरकार के भीतर कोई बड़ा संकट चल रहा है? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब अभी भी बाकी है।

VIKAS TRIPATHI
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