
Prayagraj Mahakumbh: Proposal for ‘Sanatan Board’ प्रयागराज महाकुंभ में सोमवार को आयोजित चतुर्थ सनातन धर्म संसद में ‘सनातन बोर्ड’ गठन का प्रारूप पेश किया गया। यह प्रारूप कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने प्रस्तुत किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इस धर्म संसद का शुभारंभ जगद्गुरु श्री राघवाचार्य जी महाराज और देवकीनंदन ठाकुर ने दीप प्रज्वलित कर किया।
क्या है सनातन बोर्ड का प्रस्ताव?
सनातन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव ‘हिंदू अधिनियम 2025’ के तहत एक स्वतंत्र निकाय के रूप में रखा गया है। इसमें 11 सदस्यीय अध्यक्ष मंडल होगा, जिसमें चारों संप्रदायों के प्रमुख जगद्गुरु, तीन सनातनी अखाड़ों के प्रमुख, और तीन संत-कथावाचक शामिल होंगे। इस बोर्ड का उद्देश्य मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराना, गौशाला और गुरुकुल की स्थापना, पुजारियों की नियुक्ति, गरीब सनातनी परिवारों को सहायता देना, और लव जिहाद व धर्मांतरण रोकने जैसे कार्यों पर केंद्रित होगा।
शंकराचार्यों और अखाड़ों की अनुपस्थिति ने खड़े किए सवाल
हालांकि इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया, लेकिन चतुर्थ धर्म संसद में शंकराचार्यों और अखाड़ों की गैरमौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अखाड़ों ने कहा कि उनकी आयोजकों से अब तक कोई बैठक नहीं हुई है, जबकि शंकराचार्य इस मसले पर तटस्थ रुख अपना रहे हैं। सरकार की ओर से भी इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट रुख सामने नहीं आया है।
संसद में शामिल प्रमुख संत
इस धर्म संसद में जगद्गुरु श्री राघवाचार्य जी महाराज, जगद्गुरु विद्या भास्कर जी महाराज, साध्वी सरस्वती जी, महंत श्री राजू दास जी महाराज, पूज्य मेवाड़ पीठाधीश्वर श्रीश्री 1008 सुदर्शनाचार्य जी महाराज, और अन्य कई संत-महात्माओं ने भाग लिया।
भविष्य की राह और विवाद
हालांकि प्रस्ताव पारित हो चुका है, लेकिन शंकराचार्यों और अखाड़ों की भागीदारी के बिना इसकी उपयोगिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सनातन धर्म के बड़े हिस्सों को साथ लाए बिना इस बोर्ड की स्थापना कितनी प्रभावी होगी, यह आने वाला समय ही बताएगा।

VIKAS TRIPATHI
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