कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री परिवर्तन को लेकर सियासी हलचल चरम पर है। सरकार के कार्यकाल के ढाई साल पूरे होने के बाद नए नेतृत्व की अटकलें तेज हो गई हैं। इस संभावित फेरबदल को लेकर दिल्ली में कांग्रेस नेताओं की बैठकों का दौर लगातार जारी है।
राज्य में पिछले कई महीनों से यह चर्चा चल रही है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच 2.5-2.5 साल के सत्ता साझेदारी समझौते पर सहमति बनी थी। अब ढाई साल का समय पूरा होने के बाद सत्ता परिवर्तन की मांग जोर पकड़ रही है, हालांकि सिद्धारमैया इस कथित समझौते से लगातार इनकार करते रहे हैं।
विधायकों की दिल्ली में सक्रियता, शिवकुमार समर्थक दबाव में
सत्ता बदले जाने के समर्थन में डीके शिवकुमार गुट के कई विधायक दिल्ली पहुंच चुके हैं और पार्टी नेतृत्व से मुलाकात कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार शिवकुमार समर्थक छह विधायक रविवार रात दिल्ली पहुंचे थे और आने वाले दिनों में और भी नेताओं के पहुंचने की संभावना है।
कुछ विधायकों ने साफ कहा कि उन्होंने पार्टी हाईकमान से नेतृत्व को लेकर चल रही अनिश्चितता को खत्म करने की मांग की है, जबकि कुछ ने कैबिनेट में फेरबदल कर नए चेहरों को मौका देने की बात रखी है।
सिद्धारमैया की अपील — “भ्रम खत्म हो”
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दिल्ली में हाईकमान से मुलाकात के बाद कहा कि इस मुद्दे पर चल रही अटकलें सरकार और पार्टी के लिए नुकसानदायक हैं, इसलिए जल्द स्पष्ट फैसला होना जरूरी है। उन्होंने कहा—
“मैं आलाकमान के फैसले का सम्मान करूंगा। लेकिन यह भ्रम खत्म होना चाहिए।”
मौन पर कायम मल्लिकार्जुन खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे लगातार दिल्ली में होने वाली बैठकों का हिस्सा हैं, लेकिन उन्होंने अब तक अपने इरादे साफ नहीं किए हैं। बेंगलुरु में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए कहा—“यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है।”
खरगे के साथ उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार हाल ही में बेंगलुरु एयरपोर्ट तक गए थे, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में अटकलें और तेज हो गईं।
शिवकुमार का संकेत — “मुझे इंतजार है”
सीएम पद की दावेदारी पर शिवकुमार ने कहा कि यह विषय सार्वजनिक बहस का नहीं है। उन्होंने इसे पार्टी के भीतर “चार-पांच लोगों के बीच का गुप्त समझौता” बताया और कहा कि उन्हें अपनी अंतरात्मा और नेतृत्व पर भरोसा है।
पार्टी में असमंजस, फैसले का इंतजार
कर्नाटक के कई विधायकों का मानना है कि नेतृत्व को लेकर जारी अनिश्चितता पार्टी के प्रशासनिक प्रबंधन और राजनीतिक प्रतिष्ठा पर नकारात्मक असर डाल रही है।
एक विधायक ने कहा—“कौन मुख्यमंत्री बनेगा यह महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन अंतिम निर्णय जल्द आना चाहिए।”
अगला कदम क्या?
अब सभी की निगाहें कांग्रेस हाईकमान पर टिकी हैं। सवाल यह है—
क्या आलाकमान कथित समझौते के तहत सीएम बदलने का फैसला करेगा,
या
सिद्धारमैया को पूरे कार्यकाल के लिए पद पर बरकरार रखेगा?
फैसला चाहे जो हो, यह स्पष्ट है कि कर्नाटक कांग्रेस में राजनीतिक पारा अभी और चढ़ने वाला है।














