
इम्फाल: मणिपुर में प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। सोमवार को राज्य के 11 प्रमुख राजनीतिक दलों ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर 2001 की जनगणना के आधार पर हो रहे परिसीमन का कड़ा विरोध किया। दलों ने एक संयुक्त ज्ञापन सौंपते हुए परिसीमन को 2026 तक स्थगित करने की मांग की है, जब देशभर में नवीनतम जनगणना के आधार पर नया परिसीमन प्रस्तावित है।
राजनीतिक दलों का कहना है कि 2001 की जनगणना के आंकड़े त्रुटिपूर्ण और अविश्वसनीय हैं, और उनके आधार पर परिसीमन करना जन प्रतिनिधित्व की भावना के खिलाफ होगा। ज्ञापन में कहा गया कि जब तक 2021 की जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं होते और 2026 में प्रस्तावित राष्ट्रीय परिसीमन प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक मणिपुर में परिसीमन प्रक्रिया को रोका जाना चाहिए।
भाजपा-कांग्रेस पहले ही जता चुके हैं विरोध, लेकिन बैठक से रहे गायब
हालांकि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बैठक में शामिल नहीं हुईं, लेकिन दोनों पार्टियां पहले ही 2001 के जनगणना आंकड़ों के आधार पर हो रहे परिसीमन पर अपनी आपत्ति दर्ज करा चुकी हैं। इस मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की राय लगभग एक जैसी दिखाई दे रही है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और केंद्र की दुविधा
गौरतलब है कि 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और असम में परिसीमन की प्रक्रिया तीन महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया था। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के कारण वर्तमान में परिसीमन कराना उचित नहीं है।
मणिपुर में मई 2023 से इंफाल घाटी में मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच हिंसक संघर्ष चल रहा है, जिसमें अब तक 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले समुदाय।
कौन-कौन से दल पहुंचे राज्यपाल से मिलने
राज्यपाल से मुलाकात करने वाले राजनीतिक दलों में शामिल हैं:
एनपीपी, जेडीयू, सीपीआई (एम), आम आदमी पार्टी, एनसीपी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट), समाजवादी पार्टी, क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले), शिवसेना (यूबीटी), मणिपुर पीपुल्स पार्टी (एमपीपी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)।
एनपीपी की तीखी टिप्पणी – “बीजेपी और कांग्रेस की अनुपस्थिति दुर्भाग्यपूर्ण”
एनपीपी के प्रदेश अध्यक्ष युमनाम जॉय कुमार ने बैठक के बाद कहा,
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस और भाजपा जैसी बड़ी पार्टियां इस मुद्दे पर साझा मंच पर नहीं आईं। हम राज्यपाल से निवेदन कर चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद, जब तक नई जनगणना के आंकड़े नहीं आते, तब तक परिसीमन प्रक्रिया टाल दी जाए।”
उन्होंने 2001 के आंकड़ों की प्रामाणिकता पर भी गंभीर सवाल उठाए और कहा कि इस जनगणना के आधार पर परिसीमन करना जन असंतोष को और भड़का सकता है।
फिलहाल राष्ट्रपति शासन में है मणिपुर
मणिपुर में इस समय राष्ट्रपति शासन लागू है। ऐसे में राज्य की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए विपक्ष और अन्य क्षेत्रीय दलों ने केंद्र से परिसीमन प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित रखने की अपील की है। राजनीतिक दलों का मानना है कि संवेदनशील जातीय समीकरणों वाले राज्य में जल्दबाजी में किया गया परिसीमन सांप्रदायिक संतुलन और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकता है।
नई जनगणना तक रुके परिसीमन की मांग तेज
राजनीतिक दलों की एकजुटता से यह स्पष्ट है कि मणिपुर में 2001 की जनगणना पर आधारित परिसीमन को जन समर्थन नहीं मिल रहा। आने वाले दिनों में यह मामला और भी गरमाता दिख सकता है, खासकर तब, जब सुप्रीम कोर्ट की तय समयसीमा निकट आ रही है और हिंसा की आग अभी भी पूरी तरह बुझी नहीं है।

VIKAS TRIPATHI
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