कोलकाता: पश्चिम बंगाल में मटुआ समुदाय को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हरिघाटा विधायक आसिम सरकार के एक बयान ने सियासी हलचल पैदा कर दी है। पेशे से कवि रहे आसिम सरकार ने कहा कि अगर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मटुआ समुदाय से नागरिकता साबित करने के लिए कहा गया, तो यह समुदाय BJP को नहीं छोड़ेगा।
उनके इस बयान पर अब राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है।
BJP का बचाव — “आसिम सरकार ने मटुआ हित में कही बात”
राज्य BJP अध्यक्ष सामिक भट्टाचार्य ने आसिम सरकार का बचाव करते हुए कहा कि वह “इमोशनल इंसान” हैं और उन्होंने मटुआ समुदाय के हित में बात की है। भट्टाचार्य ने कहा,
“CAA के तहत सभी हिंदुओं को भारत की नागरिकता दी जाएगी। बंगाल के लोग निश्चिंत रहें। जो लोग कह रहे हैं कि SIR से बीजेपी को नुकसान होगा, वे पार्टी की विचारधारा नहीं समझते। बंगाल में SIR लागू होगा और कोई इसे रोक नहीं पाएगा।”
TMC का पलटवार — “बीजेपी हर चुनाव से पहले नया मुद्दा उठाती है”
आसिम सरकार के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए TMC नेता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा,
“आसिम सरकार ने सच्चाई कही है। बीजेपी हर चुनाव से पहले कोई न कोई मुद्दा उठाती है — कभी कोई एजेंसी, कभी CAA, तो कभी SIR। लेकिन अब लोग इस जाल में नहीं फंसेंगे।”
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी भी मतदाता का नाम वोटर लिस्ट से छूट गया, तो बीजेपी को इसका सामना करना पड़ेगा।
मटुआ समुदाय का पृष्ठभूमि
मटुआ समुदाय बंगाल का एक प्रमुख दलित नामशूद्र समुदाय है। यह समुदाय 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन और 1971 के बांग्लादेश-पाकिस्तान युद्ध के दौरान धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत आया था।
साल 2020 में संसद में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) उन गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है, जो 2015 से पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) का कहना है कि CAA असंवैधानिक है क्योंकि यह धर्मनिरपेक्ष भारत में नागरिकता को आस्था से जोड़ता है।
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