Friday, November 28, 2025
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उडुपी में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव का संगम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया सुवर्ण तीर्थ मंडप का उद्घाटन

कर्नाटक के प्रसिद्ध उडुपी श्रीकृष्ण मठ परिसर में सोमवार का दिन ऐतिहासिक अध्याय बन गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहाँ सुवर्ण तीर्थ मंडप का लोकार्पण किया। इसके साथ ही उन्होंने पवित्र कनकना किंडी के लिए कनक कवच (सोने का पवित्र आवरण) समर्पित किया। यह वही खिड़की मानी जाती है, जिसके माध्यम से भक्ति आंदोलन के महान संत कनकदास को भगवान कृष्ण के दिव्य दर्शन प्राप्त हुए थे।

उडुपी श्रीकृष्ण मठ की स्थापना लगभग 800 वर्ष पूर्व द्वैत वेदांत दर्शन के महान प्रवर्तक जगद्गुरु श्री माध्वाचार्य ने की थी। आज यह स्थान वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित है।


प्रधानमंत्री का सम्मान और आध्यात्मिक संवाद

इस अवसर पर उडुपी पीठ के जगद्गुरु श्री श्री सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामीजी ने प्रधानमंत्री मोदी का अभिनंदन किया। उन्होंने संस्कृत में प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा:

“नरेंद्र मोदी महोदय भारत के भाग्य-विधाता हैं।”

कार्यक्रम में उपस्थित संतों, विद्वानों और हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसे महान गुरुओं की उपस्थिति उनके लिए दिव्य सौभाग्य है।

कुरुक्षेत्र से द्वारका और अब उडुपी — आध्यात्मिक यात्राओं का उल्लेख

प्रधानमंत्री ने बताया कि कुछ दिन पूर्व ही वे कुरुक्षेत्र में थे, जहाँ एक लाख लोगों ने एक साथ भगवद्गीता का पाठ किया। मोदी ने कहा कि यह क्षण केवल आयोजन नहीं बल्कि भारत की हजारों वर्ष पुरानी आध्यात्मिक ऊर्जा और धरोहर का जीवंत प्रमाण था।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पिछले वर्ष उन्होंने द्वारकाधीश मंदिर के समुद्रतल के प्राचीन स्थलों का भी दर्शन किया था।


श्रीकृष्ण के आदर्शों से प्रेरित नीतियाँ

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की लोकनीति, सामाजिक संवेदना और विकास योजनाओं का आधार भगवान श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन और गीता के सिद्धांतों में निहित है।

उन्होंने कहा:

“सबका साथ, सबका विकास, सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय”— यह हमारी नीति नहीं, बल्कि श्री कृष्ण की प्रेरणा है।

गरीबों की सेवा का मंत्र, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं में रूपांतरित हुआ।

नारी सुरक्षा और सशक्तिकरण का ज्ञान, देश में नारी शक्ति वंदन अधिनियम जैसे ऐतिहासिक निर्णयों की आधारशिला बना।

वसुधैव कुटुम्बकम और राष्ट्र सुरक्षा: गीता का समन्वित संदेश

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि श्रीकृष्ण केवल शांति के प्रवक्ता ही नहीं, बल्कि अन्याय के अंत के प्रतीक भी हैं। इसलिए—
“शांति की स्थापना के लिए अत्याचारी का अंत आवश्यक है।”

इसी संतुलित दर्शन पर आधारित होकर भारत:

विश्व मंच पर वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देता है,

और साथ ही धर्मो रक्षति रक्षितः के सिद्धांत को दोहराता है।

मोदी ने कहा कि भारत लाल किले से श्रीकृष्ण की करुणा और कर्तव्य दोनों का संदेश देता है—
“हम शांति भी चाहते हैं और अन्याय के विरुद्ध दृढ़ता भी रखते हैं।”

उडुपी में प्रधानमंत्री के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम ने श्रद्धालुओं, साधु-संतों और भारत के आध्यात्मिक मानचित्र पर एक और स्वर्णिम अंकित अध्याय जोड़ दिया। यह आयोजन केवल उद्घाटन नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, अध्यात्म, नीति और परंपरा की निरंतरता का जीवंत उत्सव बन गया।

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