बेल्जियम की एक अदालत ने भगोड़ा बिज़नेसमैन मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को लेकर कहा है कि उनके खिलाफ भारत में जो आरोप हैं वे गंभीर हैं और किसी कानूनी बाधा के कारण प्रत्यर्पण रोका जाना उचित नहीं होगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि चोकसी को भारत में निष्पक्ष सुनवाई और सुरक्षा मिलेगी और वहां उनकी सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है।
आर्थर रोड जेल की तस्वीरें — भारत का प्रमाण
सरकारी सूत्रों के अनुसार, मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर-12 की हाल की तस्वीरें बेल्जियम अधिकारियों को सौंपी गईं। यह वही बैरक है जहाँ प्रत्यर्पण के बाद चोकसी को रखा जाना प्रस्तावित है। भेजी गई तस्वीरों में साफ-सुथरी बैरक, स्वच्छ शौचालय और पर्याप्त रोशनी-हवादारी दिखाई गई है। इन तस्वीरों का मकसद चोकसी और उनके वकीलों के दावों का खंडन करना था — जिनमें कहा गया था कि उन्हें भारत भेजने पर अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाएगा। भारत ने इन तस्वीरों के जरिए यह साबित करने की कोशिश की कि जेलों में कैदियों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाती हैं और किसी तरह का अमानवीय व्यवहार नहीं होगा।
अदालत की टिप्पणी — राजनीतिक मामला नहीं, आरोप गंभीर
बेल्जियम की अदालत ने रुख साफ करते हुए कहा कि चोकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं हैं और उनके खिलाफ लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि प्रत्यर्पण जायज़ है। अदालत ने यह भी कहा कि यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है और भारत में आत्मा-सुरक्षा एवं निष्पक्ष सुनवाई के पर्याप्त आश्वासन मौजूद हैं।
प्रक्रिया अब कैसी आगे बढ़ेगी
अदालत के निर्देश के बाद प्रत्यर्पण प्रक्रिया की कानूनी राह अब अपेक्षाकृत साफ दिखती है। अगला चरण बेल्जियम की प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रियाओं के अनुरूप जारी रहेगा — जिसमें औपचारिक प्रत्यर्पण आदेश जारी होना, और उसकी तत्त्वावधान प्रक्रिया शामिल है। भारत ने जो दस्तावेज़ और तस्वीरें पेश की हैं, उन्हें बेल्जियम पक्ष ने मानीत किया है और यह मामला अब प्रत्यर्पण के अंतिम चरण की ओर अग्रसर है।
मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण पर बेल्जियम अदालत के फैसले ने स्पष्ट संकेत दिया है कि कानूनी अड़चनें दूर की जा चुकी हैं और भारत द्वारा दी गई सुरक्षा-गैरहरानी और जेल की स्थिति से संबंधित जानकारी ने चोकसी के दावों को कमजोर कर दिया है। प्रत्यर्पण के तकनीकी और प्रशासनिक चरण अब तय समयरेखा के अनुसार पूर्ण किए जा सकते हैं।














