उत्तर प्रदेश बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष चुनाव को लेकर तस्वीर लगभग साफ हो गई है। केंद्रीय राज्य मंत्री और महाराजगंज से सात बार सांसद पंकज चौधरी ने शनिवार को औपचारिक रूप से नामांकन दाखिल कर दिया। खास बात यह है कि पंकज चौधरी के अलावा किसी भी नेता ने नामांकन फॉर्म नहीं लिया, जिससे साफ संकेत मिल रहा है कि यूपी बीजेपी की कमान अब उन्हीं को सौंपी जाएगी।
नामांकन के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और यूपी चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। रविवार को मतदान के बाद पार्टी औपचारिक रूप से नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान करेगी।
एक दिन पहले ही जताई थी आशंका, क्यों पंकज चौधरी ही बने बीजेपी की पसंद?
इससे एक दिन पहले ही हमने आशंका जताई थी कि पंकज चौधरी को ही यूपी बीजेपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। शनिवार को उनके नामांकन के साथ यह अंदेशा लगभग हकीकत में बदल गया है।
वैसे तो प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के लिए सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इस बार का फैसला सिर्फ संगठनात्मक नहीं बल्कि पूरी तरह राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
योगी बनाम पंकज: गोरखपुर से निकलता सत्ता-संतुलन का संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पंकज चौधरी—दोनों ही नेता गोरखपुर क्षेत्र से आते हैं। पंकज चौधरी ने राजनीति की शुरुआत गोरखपुर से की थी, जहां वे डिप्टी मेयर रहे। बाद में वे महाराजगंज लोकसभा सीट से लगातार चुनाव जीतते रहे।
गोरखपुर की राजनीति में दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से प्रतिस्पर्धा रही है, जो कई बार खुलकर सामने भी आई है। मौजूदा दौर में योगी आदित्यनाथ यूपी बीजेपी के सबसे प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। ऐसे में पार्टी के भीतर यह संदेश देने की कोशिश है कि सरकार और संगठन अलग-अलग लेकिन संतुलित हाथों में रहें।
ओबीसी कार्ड और 2024 का सबक
बीजेपी के आंतरिक आकलन के मुताबिक, 2024 लोकसभा चुनाव में ओबीसी वोट बैंक में गिरावट पार्टी के लिए चिंता का विषय रही। खासकर कुर्मी, कोइरी और अन्य पिछड़ी जातियों में समर्थन घटा, जबकि समाजवादी पार्टी का PDA फॉर्मूला मजबूत चुनौती बनकर उभरा।
ऐसे में पंकज चौधरी—जो ओबीसी और कुर्मी समाज से आते हैं—को प्रदेश अध्यक्ष बनाना पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
क्यों नहीं दिखा कोई मुकाबला?
पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी संगठन महामंत्री बीएल संतोष पहले ही पंकज चौधरी को जिम्मेदारी संभालने का संकेत दे चुके थे। यही वजह है कि
किसी अन्य दावेदार ने नामांकन नहीं किया
चुनाव औपचारिक प्रक्रिया बनकर रह गया
यह वही स्थिति है, जिसकी ओर हमने एक दिन पहले ही इशारा किया था।
अब गोरखपुर बनेगा सियासी केंद्र?
अगर रविवार को औपचारिक घोषणा हो जाती है, तो यूपी बीजेपी की राजनीति में गोरखपुर सबसे बड़ा पावर सेंटर बनकर उभरेगा।
एक तरफ सरकार की कमान योगी आदित्यनाथ के पास होगी,
तो दूसरी तरफ संगठन की बागडोर पंकज चौधरी संभालते दिखेंगे।
यानी आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश की राजनीति में
सरकार बनाम संगठन,
और योगी बनाम पंकज का समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकता है।














