
अयोध्या में दीपोत्सव के भव्य आयोजन के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर राम मंदिर के लिए सत्ता भी छोड़नी पड़े, तो भी कोई परवाह नहीं। उन्होंने अपनी तीन पीढ़ियों के राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े होने का जिक्र किया और बताया कि कैसे उन्होंने प्रशासनिक अड़चनों के बावजूद अयोध्या दीपोत्सव को एक भव्य पर्व के रूप में स्थापित किया।
राम जन्मभूमि आंदोलन से तीन पीढ़ियों का नाता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “मेरी तीन पीढ़ियां श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए समर्पित रहीं। मुझे अयोध्या जाने में कभी कोई समस्या नहीं हुई। लेकिन सरकारी तंत्र नौकरशाही से जकड़ा हुआ था और उसमें एक बड़ा वर्ग ऐसा था, जो कहता था कि एक मुख्यमंत्री के तौर पर अयोध्या जाने से विवाद खड़ा हो सकता है।”
उन्होंने दो टूक कहा, “अगर विवाद होना है तो हो, लेकिन हमें अयोध्या के भविष्य के बारे में सोचना होगा।”
“राम मंदिर के लिए सत्ता छोड़नी पड़े तो भी मंजूर”
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राम मंदिर सिर्फ आस्था का विषय नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और सनातन परंपरा का प्रतीक है। उन्होंने नौकरशाही के विरोध और अयोध्या दीपोत्सव के आयोजन में आई चुनौतियों का भी जिक्र किया।
“एक वर्ग ऐसा भी था, जो कहता था कि अगर मैं अयोध्या जाऊंगा, तो राम मंदिर का मुद्दा उठेगा। मैंने उनसे पूछा—अगर मैं सिर्फ सत्ता के लिए राजनीति कर रहा होता, तो यह समस्या होती, लेकिन अगर राम मंदिर के लिए सत्ता भी गंवानी पड़े, तो कोई दिक्कत नहीं।”
अयोध्या दीपोत्सव को भव्य बनाने का निर्णय
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि उन्होंने IAS अवनीश अवस्थी को अयोध्या भेजकर वहां का सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए। उन्होंने अवस्थी से कहा कि “चुपचाप जाओ और देखो कि अयोध्या में दीपोत्सव कैसे आयोजित किया जा सकता है।”
अवनीश अवस्थी ने अयोध्या पहुंचकर पूरे शहर का निरीक्षण किया और सरकार को रिपोर्ट दी कि दीपोत्सव का आयोजन पूरी भव्यता के साथ होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा, “आज दीपोत्सव, दिवाली से पहले एक भव्य पर्व बन चुका है, जिसकी चमक पूरी दुनिया में देखी जाती है।”
“अयोध्या सनातन धर्म की प्रेरणा स्थली”
योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को सनातन धर्म का आधारभूमि बताते हुए कहा कि यह सप्तपुरियों में प्रथम है। उन्होंने कहा, “अयोध्या वर्षों तक मौन रही, जबकि सत्य यह है कि जिसने भी श्रीराम पर लिखा, वह अमर हो गया। महर्षि नारद ने महर्षि वाल्मीकि को प्रेरित किया कि इस धरती पर लिखने योग्य कोई महामानव हैं, तो वह सिर्फ श्रीराम हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “अयोध्या ने मानव धर्म को दिशा दी। भगवान मनु ने धरती पर मानव जीवन की व्यवस्था तय की, और उसी आधार पर अयोध्या को मानव धर्म की शुरुआती भूमि माना जाता है।”
रामायण: दुनिया का पहला महाकाव्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया का पहला महाकाव्य रामायण अयोध्या की ही देन है। उन्होंने महर्षि वाल्मीकि का उल्लेख करते हुए कहा, “अगर किसी को व्यावहारिक संस्कृति को अपनी लेखनी से धन्य करना है, तो उसे महर्षि वाल्मीकि की शरण में जाना चाहिए। उन्होंने राम को आधार बनाकर ऐसा महाकाव्य लिखा, जिसकी तुलना आज तक कोई अन्य रचना नहीं कर पाई।”
राम के बिना भारत अधूरा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया कि राम मंदिर के लिए कोई भी बलिदान देना पड़े, तो वह इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अयोध्या अब सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि भारत की सनातन संस्कृति और गौरवशाली परंपरा का प्रतीक बन चुका है।
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VIKAS TRIPATHI
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