Tuesday, October 14, 2025
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कर्नाटक में RSS पर बैन की मांग से सियासी संग्राम तेज, मुख्यमंत्री ने दिए समीक्षा के आदेश

कर्नाटक की सियासत में एक नई जंग छिड़ गई है। राज्य के मंत्री प्रियांक खड़गे द्वारा प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग के बाद राजनीतिक बवाल मच गया है।

मंत्री खड़गे ने सरकार को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि आरएसएस सरकारी स्कूलों, खेल के मैदानों और मंदिर परिसरों में शाखाएँ और सभाएँ आयोजित कर रहा है, जिनके ज़रिए बच्चों और युवाओं में नफरत फैलाने वाले विचार डाले जा रहे हैं। उन्होंने इन गतिविधियों को “असंवैधानिक और राष्ट्रीय एकता की भावना के खिलाफ” बताते हुए मुख्यमंत्री से इस पर पूरी तरह पाबंदी लगाने की मांग की।


मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दिए समीक्षा के आदेश

इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उन्होंने मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि तमिलनाडु सरकार द्वारा सरकारी स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर लगाए गए प्रतिबंध की नीति का अध्ययन किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आरएसएस संगठन सरकारी परिसरों का उपयोग अपनी विचारधारा फैलाने के लिए करता है। तमिलनाडु की तरह ऐसे आयोजनों पर रोक लगनी चाहिए।”


तमिलनाडु में पहले से लागू है प्रतिबंध नीति

स्पष्ट कर दें कि तमिलनाडु में RSS पर कोई केंद्रीय स्तर का प्रतिबंध नहीं है। बल्कि, एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार ने केवल सरकारी भूमि, भवनों, स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर RSS की शाखाओं और आयोजनों पर रोक लगाई है।
डीएमके सरकार का मानना है कि RSS की विचारधारा “हिंदू राष्ट्रवाद से जुड़ी और संविधान-विरोधी” है, इसलिए उसकी गतिविधियों को सरकारी परिसरों में अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।


फडणवीस का पलटवार — “कांग्रेस ने इतिहास से नहीं सीखा सबक”

कर्नाटक मंत्री प्रियांक खड़गे के बयान पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा, “जब इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी के दौरान RSS पर प्रतिबंध लगाया था, उनकी सरकार खुद गिर गई थी। इतिहास गवाह है कि संघ पर प्रतिबंध लगाने के हर प्रयास नाकाम रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने इससे कुछ नहीं सीखा।”

इतिहास में कब-कब लगा था RSS पर प्रतिबंध?

आरएसएस पर पहले भी तीन बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है —

1.1948 में:
महात्मा गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन गृह मंत्रालय ने आरएसएस पर देशविरोधी गतिविधियों के आरोपों में प्रतिबंध लगाया था। यह बैन 1 साल तक रहा और बाद में संगठन ने संविधान का पालन करने का आश्वासन देकर इसे हटवाया।

2.1975 में:
इंदिरा गांधी की इमरजेंसी के दौरान आरएसएस पर दूसरी बार प्रतिबंध लगाया गया। संघ के हजारों कार्यकर्ताओं को जेल भेजा गया था।
यह बैन जनता पार्टी की सरकार बनने (1977) के बाद हटा।

3.1992 में:
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार (पी.वी. नरसिम्हा राव) ने आरएसएस पर तीसरी बार प्रतिबंध लगाया था।
जांच के बाद संगठन को 1993 में पुनः अनुमति दी गई।


अब कर्नाटक में नई जंग की आहट

कर्नाटक सरकार का यह कदम कांग्रेस बनाम बीजेपी के बीच एक नई राजनीतिक भिड़ंत का कारण बन गया है।
जहां कांग्रेस नेता इसे “संविधान की रक्षा का कदम” बता रहे हैं, वहीं बीजेपी इसे “हिंदू संगठनों के खिलाफ राजनीतिक एजेंडा” करार दे रही है।

आने वाले दिनों में यह विवाद राज्य की राजनीति के केंद्र में रहने वाला है।

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VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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