दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस की प्रमुख नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ एक नई FIR दर्ज की है। यह शिकायत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (ED) की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज करवाई गई है, जिसे ED ने दिल्ली पुलिस के साथ साझा किया था।
मुख्य बिंदु
1.FIR कब दर्ज हुई: यह FIR 3 अक्टूबर को ED की शिकायत पर दर्ज की गई।
2.किसे-किसे आरोपी बनाया गया: FIR में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ सैम पित्रोदा (इंडियन ओवरसीज कांग्रेस प्रमुख) तथा तीन अन्य व्यक्तियों के नाम शामिल हैं। साथ ही तीन कंपनियों — Associated Journals Limited (AJL), Young Indian और Dotex Merchandise Pvt. Ltd — को भी आरोपी बनाया गया है।
3.आरोप का सार: आरोप है कि AJL कंपनी पर अवैध और धोखाधड़ी भरे तरीक़े से कब्ज़ा किया गया और इसके ज़रिये लगभग ₹2,000 करोड़ के संपत्तियों को महज़ ₹50 लाख में हासिल करने के लिए आपराधिक साज़िश रची गयी।
4.कानूनी संदर्भ: ED ने PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की धारा 66(2) के हवाले से जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत की — इसके तहत ED किसी अन्य एजेंसी (जैसे पुलिस) से अनुसूचित अपराध दर्ज कराने का अनुरोध कर सकती है।
मामलें का पृष्ठभूमि
नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने की थी; यह ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस से जुड़ा माना जाता रहा है। अखबार के प्रकाशन से जुड़े व्यवसायिक कामकाज की जिम्मेदारी Associated Journals Limited (AJL) के पास थी। आरोपों के अनुसार AJL की संपत्तियाँ—जिनमें दिल्ली, लखनऊ, मुंबई आदि स्थानों पर अचल संपत्ति शामिल है—उनकी कुलमूल्य लगभग ₹2,000 करोड़ आंका गयी है, जबकि कथित लेन-देन के दौरान इन्हें मामूली रकम के बदले में ट्रांसफर करने का आरोप है।
प्रतिक्रियाएँ और आगे की प्रक्रिया
कांग्रेस की प्रतिक्रिया: कांग्रेस ने FIR में उठाए गए आरोपों का खंडन किया है और इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित करार दिया है। पार्टी का कहना है कि मामला बिना किसी ठोस प्रमाण के बनाया जा रहा है।
BJP और अन्य पक्ष: भाजपा ने इस मामले को भ्रष्टाचार का सूचक बताते हुए इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया है।
जांच और कानूनी कदम: पुलिस AJL के शेयरधारकों और संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ कर सकती है। ED की चार्जशीट और उसकी विधिक प्रक्रिया जिन मामलों में दाखिल है, उनपर कोर्ट का फैसला बाकी है। आगे की कानूनी कार्रवाई, साक्ष्य-आधारित पूछताछ और अदालत की सुनवाई इस मामले की दिशा तय करेगी।
क्या देखें
यह मामला लंबे समय से चल रहा विवादित सार्वजनिक मामला है और इसमें आगे जो भी दस्तावेज़ी साक्ष्य या अदालत का आदेश आएगा, वही अंतिम बात माने जायेगी। पाठक इस खबर को राजनीतिक और कानूनी दोनों नजरियों से देखें — आरोप फिलहाल जांच के दायरे में हैं और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कानूनी प्रक्रियाओं का पालन आवश्यक है।














