कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सदस्य और तिरुवनंतपुरम से सांसद डॉ. शशि थरूर ने एक बार फिर राष्ट्र के प्रति अपनी अविचल निष्ठा का प्रदर्शन किया है। शनिवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “देश पहले आता है, पार्टियां केवल उसे बेहतर बनाने का माध्यम हैं।”
थरूर ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल का उद्देश्य अपने दृष्टिकोण से एक बेहतर भारत का निर्माण करना होता है। उन्होंने यह भी दोहराया कि वह देश की सशस्त्र सेनाओं और केंद्र सरकार के समर्थन में जो रुख अपनाते रहे हैं, उस पर कायम हैं, क्योंकि उनके अनुसार यही देशहित में है।
‘देश सर्वोपरि है, पार्टियां माध्यम हैं’
‘शांति, सद्भाव और राष्ट्रीय विकास’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में शशि थरूर ने कहा:“आपकी पहली निष्ठा किसके प्रति होनी चाहिए? मेरे विचार से, राष्ट्र सर्वोपरि है। राजनीतिक पार्टियां राष्ट्र को बेहतर बनाने का एक माध्यम मात्र हैं। हर पार्टी अपने-अपने तरीके से भारत को बेहतर बनाने का प्रयास करती है।”
सेना और सरकार के समर्थन पर अडिग
थरूर ने साफ शब्दों में कहा कि भले ही उनके इस रुख की आलोचना हुई हो, लेकिन वे अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे।“कई लोगों ने मुझे इस बात पर निशाना बनाया कि मैं भारत की सशस्त्र सेनाओं और सरकार का समर्थन करता हूं। हाल के दिनों में हमारी सीमाओं पर जो घटनाएं घटीं, उस पर भी मैंने यही रुख अपनाया। मैं इस पर डटा रहूंगा, क्योंकि यह मेरे अनुसार देश के लिए सही और जरूरी है।”
‘देश की सेवा ही मेरा उद्देश्य है’
कार्यक्रम के बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कांग्रेस आलाकमान से कोई समस्या है, तो थरूर ने संयमित जवाब दिया“मैं यहां किसी राजनीतिक विवाद पर चर्चा करने नहीं आया हूं। मैं दो भाषण देने आया हूं—एक विकास, व्यवसायों की भूमिका और राष्ट्रीय सद्भाव, और दूसरा सांप्रदायिक एकता और मिलकर आगे बढ़ने के प्रयासों पर केंद्रित था।”
उन्होंने आगे कहा कि राजनीति में आने का उद्देश्य केवल सत्ता नहीं, बल्कि हर संभव माध्यम से देश की सेवा करना है:“मैं भारत में इसलिए लौटा ताकि राजनीति के भीतर और बाहर, हर तरीके से देश की सेवा कर सकूं। मैं लगातार उसी दिशा में प्रयासरत हूं।”
विचारधारा से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में बात करने की मिसाल
शशि थरूर के इस बयान ने न केवल राजनीतिक शालीनता और राष्ट्रप्रेम का परिचय दिया, बल्कि यह भी दर्शाया कि विचारधाराओं और दलगत सीमाओं से ऊपर उठकर भी देशहित में स्टैंड लिया जा सकता है। एक ऐसे समय में जब राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप और ध्रुवीकरण हावी है, थरूर का यह संतुलित और सजग बयान नवीन राजनीतिक सोच की मिसाल बनता है।