नागपुर — राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ की कड़ी आलोचना की और इसे वैश्विक आत्मकेंद्रित दृष्टिकोण का परिणाम करार दिया। भागवत ने कहा कि कुछ देशों में यह भय बैठ गया है कि अगर भारत सशक्त हो गया तो उनकी स्थिति क्या होगी — और इसी डर के चलते भारतीय वस्तुओं पर शुल्क लगाए जा रहे हैं। उन्होंने यह टिप्पणी शुक्रवार को नागपुर में ब्रह्माकुमारीज विश्व शांति सरोवर के सातवें स्थापना दिवस के अवसर पर कही।
“डर की मानसिकता को समझना होगा”
भागवत ने कहा, “दुनिया के लोग इस बात से डरे हुए हैं कि अगर भारत मजबूत हो गया तो उनके साथ क्या होगा और उनकी स्थिति क्या हो जाएगी। इसलिए भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाए गए हैं। जबकि हमने कुछ भी नहीं किया। जब आप सात समुंदरों से दूर हैं और आपके साथ संपर्क कम है, तो यह डर क्यों?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे भय और संकीर्ण दृष्टिकोण का सामना तभी संभव है जब व्यक्ति और देश अपने वास्तविक स्वरूप को समझें और करुणा व साझा दृष्टिकोण अपनाएँ।
“मैं से हम में” — संवाद और सहिष्णुता का संदेश
भागवत ने कहा कि यदि मनुष्य अपना रवैया “मैं” से बदलकर “हम” रखेगा तो कई समस्याएँ अपने आप सुलझ जाएँगी। उन्होंने विश्व के समक्ष आज की जटिलताओं का कारण आंशिक दृष्टि और स्वकेंद्रितता बताया और कहा कि सिर्फ़ ‘मैं’-परक नजरिये से समस्याओं का समाधान नहीं निकल सकता।
टैरिफ पर तीखा प्रतिपुष्टिकरण और आत्मनिर्भरता का भरोसा
भागवत ने कहा कि अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए हैं—जिसमें रूस से तेल खरीद पर 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क भी शामिल बताया जा रहा है—और इसे अनुचित और अविवेकपूर्ण करार देते हुए कहा कि भारत दुनिया की समस्याओं के समाधान और आगे का मार्ग दिखाने में सक्षम है।
भारतीयों को “महान” बनने का आह्वान
आरएसएस प्रमुख ने देशवासियों को ‘महान बनने’ का संदेश देते हुए कहा कि भारत एक महान देश है और लोगों को अपनेपन व सहनशीलता के बल पर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीयों में संकट के समय भी अपनत्व और संतोष की भावना होती है, जो कठिनाइयों में भी उन्हें टिके रहने की शक्ति देती है।
ब्रह्माकुमारीज की प्रशंसा
भागवत ने महिलाओं द्वारा संचालित आध्यात्मिक आन्दोलन ब्रह्माकुमारीज की भी प्रशंसा की और कहा कि आरएसएस भी आंतरिक चेतना को जागृत करने का काम इसी तरह कर रहा है।