
ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब के तत्वावधान में पत्रिका ‘मुक्त स्वर’ के विमोचन का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षा, पत्रकारिता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी प्रतिष्ठित हस्तियों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। इस अवसर पर शिक्षक MLC श्रीचंद शर्मा सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे, जिन्होंने अपने प्रेरणादायक विचारों से समारोह को और अधिक विशेष बना दिया।
नन्हे कलाकारों की प्रस्तुति बनी कार्यक्रम का आकर्षण
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा प्रबोधम ग्लोबल विद्यालय के नन्हे कलाकारों द्वारा प्रस्तुत एक भावनात्मक नाट्य मंचन, जिसका विषय था – “सोशल मीडिया का बच्चों और रिश्तों पर प्रभाव।” इन मासूम कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय और सजीव अभिव्यक्ति से डिजिटल युग में मानवीय संवेदनाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को बेहद प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

जब इन नन्हे कलाकारों ने सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के कारण बदलते रिश्तों, बच्चों पर इसके मानसिक प्रभाव और परिवार में घटती संवादशीलता को मंच पर जीवंत किया, तो पूरे सभागार में सन्नाटा छा गया। हर संवाद और हर दृश्य ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। नाटक के समापन के साथ ही पूरा सभागार तालियों की गूंज से गूंज उठा, और उपस्थित सभी अतिथियों ने खड़े होकर इन नन्हे कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
कार्यक्रम में बच्चों को संबोधित करते हुए ध्रुव राय, संचालक,”ध्रुव क्लासेस” ने बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करते हुए — “सफलता का रहस्य: कठिन परिश्रम और अटूट समर्पण
हर छात्र के मन में एक सपना होता है – कुछ बड़ा करने का, अपने माता-पिता और समाज का नाम रोशन करने का। लेकिन क्या सिर्फ सपने देखने से सफलता मिलती है? नहीं! सफलता का एकमात्र रास्ता कठिन परिश्रम और समर्पण से होकर गुजरता है।
हम अक्सर सुनते हैं कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। यह बात सौ फीसदी सच है। सोना जब तक आग में तपता नहीं, तब तक उसकी चमक नहीं निखरती। हीरा जब तक तराशा नहीं जाता, तब तक उसकी असली कीमत नहीं होती। मेंहदी जब तक पत्थर पर घिसी नहीं जाती, तब तक उसका रंग नहीं उभरता। ठीक उसी तरह, जब तक कोई छात्र कठिन परिश्रम और अनुशासन के साथ अपनी पढ़ाई में समर्पित नहीं होता, तब तक सफलता उसके कदम नहीं चूमती।

ध्रुव राय ने कहा- ध्यान भंग करने वाली चीजों से बचें
आज के समय में छात्रों के लिए सबसे बड़ी चुनौती ध्यान भंग करने वाली चीजें हैं – मोबाइल, सोशल मीडिया, फालतू की चर्चाएँ और आलस्य। अगर आप अपना ध्यान इन चीजों में लगाएंगे, तो लक्ष्य से भटकना तय है। जो छात्र हर पल अपने लक्ष्य के प्रति सजग रहते हैं, वे ही असली विजेता बनते हैं।
सपनों को साकार करने का सही तरीका
1. नियमितता और अनुशासन: रोज़ाना एक तय समय पर पढ़ाई करें और उसे पूरी गंभीरता से फॉलो करें।
2. समय का सही उपयोग: हर मिनट कीमती है। इसे व्यर्थ की चीज़ों में खर्च करने के बजाय अपने लक्ष्य पर केंद्रित करें।
3. स्वयं पर विश्वास रखें: अगर आप खुद पर विश्वास नहीं करेंगे, तो दुनिया भी आप पर विश्वास नहीं करेगी।
4. कठिनाइयों से डरें नहीं: रास्ते में चुनौतियाँ आएंगी, लेकिन जो उनका डटकर सामना करेगा, वही आगे बढ़ेगा।
5. सकारात्मक सोच रखें: नकारात्मकता से बचें और हमेशा यह सोचें कि “मैं कर सकता हूँ, मैं करूँगा!”
याद रखें – कोई भी महान उपलब्धि बिना संघर्ष के नहीं मिलती। अगर आप आज पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ अपने लक्ष्य के लिए काम करेंगे, तो कल सफलता निश्चित रूप से आपके कदम चूमेगी।
बच्चों को किया गया सम्मानित
इन प्रतिभाशाली बच्चों की मेहनत और कला की सराहना करते हुए आयोजकों ने उन्हें प्रशस्ति पत्र (सर्टिफिकेट) और ट्रॉफी प्रदान की, जिससे उनके आत्मविश्वास को और अधिक मजबूती मिली। इस सम्मान ने उनके रचनात्मक प्रयासों को और निखारने की प्रेरणा दी।

‘मुक्त स्वर’ – अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम
‘मुक्त स्वर’ पत्रिका का विमोचन केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह समाज को जागरूक करने और रचनात्मक अभिव्यक्ति को मंच देने का सशक्त प्रयास भी था। यह पत्रिका विचारों, लेखनी और सामाजिक सरोकारों की बुलंद आवाज बनेगी।
कार्यक्रम में शामिल होकर यह अनुभव हुआ कि कैसे साहित्य, कला और सामाजिक मुद्दे आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। इस आयोजन ने समाज को एक सार्थक संदेश दिया और यह साबित किया कि बच्चे केवल भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान की भी आवाज़ हैं।

VIKAS TRIPATHI
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