मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी के लिए मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। सोमवार को अडानी समूह की बिजली उत्पादन कंपनी अडानी पावर ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से उसे एक शो-कॉज़ नोटिस प्राप्त हुआ है।
इस खबर के चलते अडानी समूह की कई कंपनियों के शेयरों में बिकवाली देखी गई। अडानी पावर का शेयर बीएसई पर पहले सत्र के दौरान 3.5 प्रतिशत तक गिरकर 578.1 रुपये तक पहुंच गया, जो 21 रुपये की गिरावट थी। सुबह 11:50 बजे अडानी पावर के शेयर 2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 587 रुपये पर थे, जबकि अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स भी 2 प्रतिशत गिरावट पर थे। इसके अलावा, अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी टोटल गैस के शेयर भी लगभग आधा प्रतिशत तक गिर गए।
अडानी पावर ने अपने वित्तीय नतीजों के साथ जारी नियामकीय फाइलिंग में बताया कि SEBI ने “कुछ इकाइयों की शेयरधारिता को गलत तरीके से वर्गीकृत करने” के आरोप में नोटिस भेजा है, जो सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों से संबंधित है। अडानी पावर ने कहा कि वह नियामकीय और वैधानिक अधिकारियों को जवाब, दस्तावेज और स्पष्टीकरण देने की प्रक्रिया में है।
कंपनी ने कहा कि कानूनी राय के आधार पर उसके प्रबंधन का मानना है कि सभी लेन-देन और प्रमोटरों या सार्वजनिक शेयरधारिता की जानकारी नियमानुसार ही प्रस्तुत की गई है। “नोटिसों में कथित गैर-अनुपालन के आरोपों से वित्तीय परिणामों पर कोई भौतिक प्रभाव नहीं है,” अडानी पावर ने कहा।
यह घटनाक्रम अमेरिका स्थित शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों के बीच आया है, जिनका समूह ने बार-बार खंडन किया है। अडानी पावर ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों का कंपनी की वित्तीय स्थिति पर कोई खास असर नहीं है और इसके चलते किसी प्रकार के बदलाव की आवश्यकता नहीं है।
यह नोटिस अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस को भी मिला है, जिसमें सार्वजनिक शेयरधारिता से संबंधित मुद्दों का उल्लेख किया गया है। SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने भी इस वर्ष हिंडनबर्ग के कई आरोपों को खारिज किया है।
विश्लेषकों के अनुसार, अडानी समूह की अत्यधिक विविधता भी कंपनी के लिए मुश्किलों का कारण बन सकती है।
VIKAS TRIPATHI
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