
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (BSP) में जबरदस्त उठापटक मच गई है। रविवार को पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को सभी पदों से मुक्त कर दिया और साफ ऐलान किया कि जब तक वह जीवित हैं, उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। उनके इस फैसले ने उत्तर प्रदेश की राजनीति और बसपा के भीतर भूचाल ला दिया है।
BSP में लगातार गिर रहा ग्राफ, आंतरिक कलह हुई उजागर
पिछले कुछ चुनावों में BSP का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। पार्टी सिर्फ सियासी अस्तित्व बचाने की लड़ाई ही नहीं लड़ रही, बल्कि अंदरूनी गुटबाजी से भी जूझ रही है। रविवार को मायावती ने पार्टी में बड़े बदलावों की घोषणा करते हुए आकाश आनंद को सभी जिम्मेदारियों से हटा दिया।
अशोक सिद्धार्थ को ठहराया जिम्मेदार
मायावती ने आकाश आनंद को हटाने के पीछे उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि अशोक सिद्धार्थ की वजह से ही आकाश आनंद का राजनीतिक करियर बर्बाद हो रहा था।
शादी से सियासत तक: मायावती और अशोक सिद्धार्थ के बीच बढ़ी दूरियां
मायावती ने अपने करीबी अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा से आकाश आनंद की शादी कराई थी, जिससे वह उनके समधी बन गए। इस शादी के बाद अशोक सिद्धार्थ का सियासी कद बढ़ गया और उन्हें BSP में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गईं। लेकिन उनके बेटे की शादी के बाद स्थिति बदल गई।
शादी की पार्टी से बिगड़े मायावती के रिश्ते
अशोक सिद्धार्थ ने अपने बेटे की शादी के बाद आगरा में एक बड़ी पार्टी दी, जिसमें BSP के चुनिंदा नेताओं को बुलाया गया। इस पार्टी में आकाश आनंद भी शामिल हुए, लेकिन मायावती ने इसमें जाना जरूरी नहीं समझा। यहीं से यह संकेत मिलने लगे कि मायावती, अशोक सिद्धार्थ से नाराज हैं।
गुटबाजी के आरोप में अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाला
शादी की पार्टी के बाद मायावती ने दक्षिण भारत के BSP नेताओं से मुलाकात की और अगले ही दिन अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया। उन पर गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा।
पहले ससुर, अब दामाद पर गिरी गाज
अशोक सिद्धार्थ को हटाने के बाद मायावती ने अब आकाश आनंद को भी पार्टी से बाहर कर दिया। उन्होंने कहा कि BSP में गुटबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मायावती के मुताबिक, आकाश आनंद पर उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ का प्रभाव बढ़ रहा था, जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता था।
BSP में टूट का खतरा, क्या होगा अगला कदम?
मायावती के इस फैसले के बाद BSP में अंदरूनी कलह और गहरी हो गई है। पार्टी कार्यकर्ता और नेता अब क्या रुख अपनाते हैं, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन इतना तय है कि यह फैसला BSP की राजनीतिक दिशा को गहराई से प्रभावित करेगा।