Tuesday, July 1, 2025
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मौलाना महमूद असद मदनी का बयान: ख्वाजा साहब की दरगाह को “शिव मंदिर” बताना भारत के दिल पर हमला

Ajmer Dargah Claim On Maulana Madani :जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने ख्वाजा ख्वाजगान सुल्तान-उल-हिंद हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी की दरगाह को “शिव मंदिर” बताए जाने को भारत के दिल पर हमला करार दिया। उन्होंने देशभर में मस्जिदों को लेकर फैल रही अराजकता पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।

मौलाना मदनी ने उत्तरकाशी (उत्तराखंड) की जामा मस्जिद के खिलाफ चलाए गए अभियान और स्थानीय प्रशासन द्वारा संप्रदायिक तत्वों को पंचायत की अनुमति दिए जाने की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग हर जगह सरकारों का संरक्षण प्राप्त कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप देश में अराजकता और घृणा फैल रही है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि वे इन तत्वों को संरक्षण देना बंद करें, अन्यथा इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।

‘अदालत को ऐसे दावे तुरंत खारिज कर देने चाहिए’

मौलाना मदनी ने अजमेर शरीफ की दरगाह से संबंधित किए गए दावे को हास्यास्पद बताया और कहा कि ऐसे दावों को अदालत से तुरंत खारिज कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने हजरत ख्वाजा साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह एक फकीर थे, जो संसारिक सुखों से मुक्त थे। उन्होंने किसी भू-भाग पर शासन नहीं किया, बल्कि दिलों पर राज किया, यही कारण था कि उन्हें “सुल्तान-उल-हिंद” कहा गया।

‘भाईचारे की परंपरा कायम की’

मौलाना मदनी ने आगे कहा कि ख्वाजा साहब का व्यक्तित्व शांति के दूत के रूप में प्रसिद्ध था। वह गरीबों के प्रति अपने सेवाभाव के कारण ग़रीब नवाज़ के नाम से जाने जाते थे। उनका जीवन अमन-शांति, सहिष्णुता, और प्राणियों के प्रति प्रेम का प्रतीक था। उन्होंने इंसानी भाईचारे, बराबरी और गरीबों की सेवा की परंपरा स्थापित की, जो हर भारतीय की समान धरोहर है, चाहे वह किसी भी धर्म और समुदाय से हो।

महात्मा गांधी की याद

मौलाना मदनी ने कहा कि ख्वाजा साहब के दरवाजे मुसलमानों के साथ-साथ गैर-मुसलमानों के लिए भी खुले थे। उन्होंने बिना किसी भेदभाव के सभी को प्रेम और सहानुभूति दी। भारत के महान विचारक सी. राजगोपाल आचार्य (भारत के पहले गवर्नर जनरल) ने दरगाह के दर्शन के समय कहा था कि ख्वाजा साहब ने अपनी महानता, प्रेम और करुणा की भाषा से लोगों के दिल बदल दिए। महात्मा गांधी ने 1922 में अपनी अजमेर शरीफ यात्रा के दौरान ख्वाजा साहब के जीवन को मानव-प्रेम और अहिंसा का प्रतीक बताया था।

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