
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति योजनाओं में भारी कटौती करने का आरोप लगाया है। उन्होंने राज्यसभा में सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के आधार पर दावा किया कि बीते चार वर्षों में अल्पसंख्यक छात्रों को मिलने वाली प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लाभार्थियों की संख्या 94% तक घट गई है, जबकि पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लाभार्थियों की संख्या 83% कम हो गई है।
सरकारी नीतियों से प्रभावित हुए लाखों छात्र
खरगे का आरोप है कि मोदी सरकार के ‘सबका साथ – सबका विकास’ का नारा महज दिखावा है और असल में सरकार SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्तियों को धीरे-धीरे खत्म कर रही है। बजट आवंटन और लाभार्थियों की संख्या में साल दर साल भारी गिरावट देखी गई है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
1. प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति: 94% की गिरावट
सरकारी दस्तावेजों के अनुसार:
- 2021-22 में प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 1,378 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन 2024-25 में यह घटकर मात्र 326 करोड़ रुपये रह गया।
- 2021-22 में 28.90 लाख छात्रों को इस योजना का लाभ मिला था, लेकिन 2023-24 में यह संख्या घटकर सिर्फ 4.91 लाख रह गई।
- सरकार ने कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को इस योजना से बाहर कर दिया, जिससे लाभार्थियों की संख्या में भारी कमी आई।
2. पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: 83% की गिरावट
- 2023-24 में सरकार ने 1,145 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था, लेकिन 2025-26 के बजट में इसे घटाकर मात्र 414 करोड़ रुपये कर दिया गया।
- बीते वर्ष की तुलना में इस योजना के बजट में 64% की कटौती हुई है, जिससे लाभार्थियों की संख्या भी प्रभावित होगी।
3. मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति: 78% की कटौती
- 2020-21 में इस योजना के लिए 400 करोड़ रुपये का बजट था, लेकिन 2024-25 में यह घटकर मात्र 7 करोड़ रुपये रह गया।
- चार वर्षों में इस योजना के फंड में 78% की कमी की गई है, जिससे उच्च शिक्षा में अल्पसंख्यक छात्रों के अवसर सीमित हो जाएंगे।
क्या है सरकार की दलील?
सरकार ने कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति से बाहर करने के फैसले को ‘शिक्षा के अधिकार कानून’ से जोड़ा है और कहा है कि इन कक्षाओं के छात्रों को पहले से ही सरकार अन्य योजनाओं के तहत सहायता दे रही है। लेकिन विपक्ष इसे छात्रवृत्तियों को खत्म करने की साजिश बता रहा है।
क्या इससे अल्पसंख्यक छात्र होंगे प्रभावित?
खरगे का कहना है कि अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति की यह कटौती विशेष रूप से मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी छात्रों को प्रभावित करेगी। इनमें मुस्लिम समुदाय के छात्रों की संख्या सबसे अधिक होने के कारण, वे सबसे ज्यादा नुकसान में रहेंगे।
सरकार पर हमला, क्या योजनाओं को खत्म करने की साजिश?
खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार धीरे-धीरे अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति योजनाओं को खत्म करने की रणनीति पर काम कर रही है। बजट में भारी कटौती इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।
अब सवाल उठता है कि क्या सरकार छात्रवृत्तियों को बहाल करेगी या यह कटौती जारी रहेगी?