मुंबई: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग एक बार फिर सड़कों पर गूंज रही है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटील की अगुवाई में हज़ारों आंदोलनकारी शनिवार को मुंबई के आजाद मैदान में जुटे। जरांगे यहाँ ओबीसी कोटे में मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे हैं।
राजधानी में अचानक हुए इस बड़े जमावड़े ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है। साउथ मुंबई में जगह-जगह आंदोलनकारियों ने चक्का जाम कर दिया, जिससे यातायात व्यवस्था चरमरा गई। पुलिस को भीड़ हटाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
आंदोलनकारियों की नाराज़गी
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर उनके साथ अन्याय किया है।
न तो आज़ाद मैदान पर कोई बुनियादी सुविधा दी गई और
न ही साउथ मुंबई में खाने-पीने और शौचालय की व्यवस्था की गई।
गुस्से में आए आंदोलनकारियों ने सड़क पर बैठकर हंगामा शुरू कर दिया। पुलिस को मजबूर होकर बीएमसी से टैंकर मंगाना पड़ा, जिसके बाद आंदोलनकारियों को पानी उपलब्ध कराया गया। हालात इतने बिगड़े कि आंदोलनकारी सड़क पर ही साबुन लगाकर नहाने लगे और कपड़े धोने लगे।
उनका कहना है कि प्रशासन ने होटल और फूड जॉइंट्स बंद करवा दिए हैं, गैस सिलेंडर से खाना बनाने पर रोक लगा दी है, ताकि वे भूखे रहें। लेकिन आंदोलनकारियों ने बीएमसी द्वारा दिए गए पानी का इस्तेमाल खाने-पीने के साथ-साथ नहाने और कपड़े धोने तक के लिए करना शुरू कर दिया।
जरांगे का सातवां अनशन
मनोज जरांगे पाटील लंबे समय से मराठा आरक्षण की मांग को लेकर सक्रिय हैं। अब तक वे सात बार अनशन कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव से पहले भी उन्होंने ऐसा ही आंदोलन किया था, जिसने सरकार पर दबाव बनाया था।
#WATCH | Maratha reservation activists take to the streets around Chhatrapati Shivaji Maharaj Terminus (CSMT) in Mumbai over the reservation issue. Mumbai Police officials and RPF personnel present here. pic.twitter.com/4cGdgyZXa9
— ANI (@ANI) August 30, 2025
सरकार की समिति हरकत में
मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर राज्य सरकार ने सितंबर 2023 में न्यायमूर्ति शिंदे समिति गठित की थी। इसका उद्देश्य मराठा समुदाय को कुणबी (OBC) वर्ग में शामिल करने और प्रमाणपत्र जारी करने का कानूनी ढांचा तैयार करना है।
आज इस समिति की उपसमिति की बैठक मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील के निवास पर हुई, जिसमें मंत्री दादा भूसे समेत कई सदस्य शामिल थे। दो घंटे चली बैठक में मुख्य चर्चा इस बात पर रही कि आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ाई जाए।
बैठक के बाद समिति के प्रतिनिधि आजाद मैदान पहुंचकर जरांगे पाटील से सीधी मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात को आंदोलन के भविष्य और सरकार की नीति के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।
नतीजा क्या निकलेगा?
मुंबई की सड़कों पर जाम और आज़ाद मैदान की गूंज ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। जरांगे का अनशन और आंदोलनकारियों का सड़क पर बैठकर विरोध जताना दिखाता है कि मराठा आरक्षण अब सिर्फ सामाजिक मुद्दा नहीं, बल्कि चुनावी राजनीति का निर्णायक सवाल बन चुका है।