ब्रिटेन ने अपने कानूनी इमिग्रेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है, जिसका असर लाखों भारतीय छात्रों और पेशेवरों पर पड़ेगा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने सोमवार को इमिग्रेशन को सीमित करने के लिए बड़े सुधारों की घोषणा की, जिनमें कई कठोर शर्तें शामिल हैं।
क्या हुए हैं मुख्य बदलाव?
स्किल्ड वर्कर वीज़ा: अब यह वीज़ा केवल उन लोगों को मिलेगा जिनके पास डिग्री है। कम-कुशल (Lower-Skilled) वीज़ा का रास्ता लगभग बंद कर दिया गया है।
ग्रेजुएशन वीज़ा: जो स्टूडेंट्स को पढ़ाई पूरी होने के बाद UK में काम करने की इजाजत देता था, उसकी अवधि 2 साल से घटाकर 18 महीने कर दी गई है।
हेल्थ और केयर वर्कर वीज़ा: नए आवेदनकर्ताओं के लिए पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है, खासकर शोषण की शिकायतों को देखते हुए।
अंग्रेज़ी भाषा की अनिवार्यता: सभी वीज़ा श्रेणियों में अब कठोर अंग्रेज़ी भाषा की योग्यता अनिवार्य होगी।
स्थायी नागरिकता के लिए समय: अब 5 से 10 साल तक UK में रहना होगा तभी नागरिकता या सेटलमेंट मिलेगा।
स्पॉन्सरशिप शुल्क में वृद्धि: स्किल्ड वर्कर को नौकरी पर रखने के लिए कंपनियों को अब 32% अधिक शुल्क देना होगा।
न्यूनतम वेतन सीमा बढ़ी: सभी स्किल्ड वीज़ा श्रेणियों में वेतन की न्यूनतम सीमा बढ़ाई गई है।
भारतीयों पर असर
भारत को हर साल सबसे अधिक स्किल्ड वर्कर वीज़ा, हेल्थ केयर वीज़ा और स्टडी वीज़ा दिए जाते हैं। इस कारण इन नए बदलावों का सबसे बड़ा असर भारतीयों पर ही पड़ेगा। हालांकि, जो लोग पहले से स्किल्ड वीज़ा पर UK में हैं, उन्हें तब तक असर नहीं होगा जब तक वे अपना वीज़ा रूट नहीं बदलते।
सरकार की मंशा क्या है?
व्हाइट पेपर में बताया गया है कि गैर-यूरोपीय देशों से कम-कुशल श्रमिकों की संख्या में तेज़ी आई है और कई छात्र वीज़ा का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार अब ब्रिटेन के नागरिकों को ट्रेनिंग देकर विदेशी नौकरियों की निर्भरता कम करना चाहती है।
PM स्टार्मर ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“अगर आप UK में रहना चाहते हैं, तो आपको इंग्लिश बोलनी आनी चाहिए। ये सामान्य समझ की बात है।”
अगर आप UK जाकर पढ़ाई या नौकरी करने का सपना देख रहे हैं, तो अब पहले से ज्यादा चुनौतियां होंगी। ब्रिटेन अब ‘गुणवत्ता’ को प्राथमिकता दे रहा है, न कि ‘संख्या’ को।
VIKAS TRIPATHI
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