नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2025 — अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट ने एक बार फिर उद्योगपति गौतम अडानी और उनके समूह को विवादों के घेरे में ला दिया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने मई 2025 में सरकार के दबाव में आकर अडानी समूह की कंपनियों में करीब 3.9 अरब डॉलर (लगभग 33,000 करोड़ रुपये) का निवेश किया। रिपोर्ट के मुताबिक यह कदम अडानी समूह के बढ़ते कर्ज और वित्तीय संकट के समय उठाया गया था।
वॉशिंगटन पोस्ट का दावा
रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2025 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय, नीति आयोग, वित्तीय सेवा विभाग और LIC के बीच एक बैठक हुई, जिसमें अडानी समूह के बॉन्ड और इक्विटी में निवेश की रणनीति तय की गई।
अख़बार ने कथित आंतरिक दस्तावेजों के हवाले से लिखा कि उसी महीने अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन ने 585 मिलियन डॉलर के बॉन्ड जारी किए, जिन्हें केवल LIC ने खरीदा। रिपोर्ट के अनुसार, इस निवेश का उद्देश्य “अडानी समूह पर भरोसे का संदेश देना” और अन्य निवेशकों को आकर्षित करना था।
विपक्ष का हमला
रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने सरकार और LIC पर तीखा हमला बोला है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस निवेश को “आम आदमी की मेहनत की कमाई की लूट” बताया और कहा कि पॉलिसीधारकों के पैसे का इस्तेमाल अडानी समूह को फायदा पहुँचाने में किया गया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X (ट्विटर) पर पोस्ट कर आरोप लगाया कि “मई 2025 में सरकार ने LIC फंड से 33,000 करोड़ रुपये अडानी ग्रुप में निवेश करवाया।”
कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) और लोक लेखा समिति (PAC) से जांच की मांग की है।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी कहा कि “देश के करदाताओं के 30,000 करोड़ रुपये सरकार की मेहरबानी से अडानी के गुल्लक के रूप में इस्तेमाल किए गए।”
LIC का जवाब
LIC ने इन सभी आरोपों को “झूठा, निराधार और सच्चाई से कोसों दूर” बताया है।
कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि उसके सभी निवेश बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीतियों और नियामक दिशानिर्देशों के तहत किए जाते हैं।
LIC ने कहा —
“हमारे सभी निवेश निर्णय पूरी जांच-पड़ताल और ईमानदारी के साथ लिए जाते हैं। किसी बाहरी निकाय या विभाग का हमारे निर्णयों पर कोई प्रभाव नहीं होता।”
कंपनी ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में जो दस्तावेज़ों का हवाला दिया गया है, वे “LIC द्वारा तैयार नहीं किए गए हैं” और इस तरह की कोई योजना कभी अस्तित्व में नहीं रही।
अडानी समूह पर जारी विवाद
अडानी समूह पहले भी विवादों में घिर चुका है।
जनवरी 2023 में अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने रिपोर्ट जारी कर समूह पर शेयरों में हेरफेर और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे।
फाइनेंशियल टाइम्स ने इसी साल आरोप लगाया कि समूह ने इंडोनेशिया से कम-गुणवत्ता वाला कोयला सस्ते में खरीदा और भारत में ऊँची कीमत पर बेच दिया।
हालांकि अडानी समूह ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा था कि वह पारदर्शी और नियामक मानकों के तहत काम करता है।
क्या कहती है सरकार?
केंद्र सरकार ने अभी तक इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय LIC के जवाब को पर्याप्त मानता है और किसी “जांच की फिलहाल आवश्यकता नहीं” मानता।
फिलहाल स्थिति
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार और राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ी है।
LIC और अडानी समूह दोनों ने अपने-अपने स्पष्टीकरण दिए हैं, जबकि विपक्ष जांच पर अड़ा हुआ है।
अब यह देखना होगा कि क्या इस मामले की संसदीय या नियामकीय स्तर पर जांच शुरू की जाती है, या मामला LIC के स्पष्टीकरण के साथ ही ठंडा पड़ जाता है।














