
Khalistan Supporter and MP Amritpal Singh Announces New Party ‘Akali Dal Waris Punjab De: असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तान समर्थक और खडूर साहिब से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह ने अपनी नई पार्टी का ऐलान किया है। पार्टी का नाम ‘अकाली दल वारिस पंजाब दे’ रखा गया है। यह घोषणा पंजाब के मुक्तसर में आयोजित ऐतिहासिक माघी मेले के दौरान एक कॉन्फ्रेंस में की गई।
पार्टी का उद्देश्य और संरचना
पार्टी का उद्देश्य पंजाब के राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक मुद्दों को प्रमुखता से उठाना बताया गया है।
- अमृतपाल सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है।
- जेल में बंद होने के कारण पार्टी संचालन के लिए एक कार्यकारी कमेटी का गठन किया गया है, जो पार्टी की नीतियां और गतिविधियां निर्धारित करेगी।
- पार्टी के नाम में “अकाली दल” जोड़कर इसे सिख समुदाय की ऐतिहासिक परंपराओं और मूल्यों से जोड़ा गया है, जबकि “वारिस पंजाब दे” नाम, अमृतपाल की पूर्ववर्ती सामाजिक पहल से लिया गया है।
अमृतपाल सिंह का राजनीतिक सफर
अमृतपाल सिंह ने 2024 के लोकसभा चुनाव में खडूर साहिब से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी। उनकी पहचान पंजाब में एक मुखर खालिस्तान समर्थक के रूप में रही है। हालांकि, उनकी विवादास्पद गतिविधियों और बयानों के कारण उन्हें केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर असम के डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया।
माघी मेले में घोषणा
- माघी मेला, जो पंजाब के मुक्तसर में हर साल आयोजित होता है, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
- इस बार के मेले में अमृतपाल की नई पार्टी की घोषणा ने सियासी हलकों में खलबली मचा दी है।
- मेले के दौरान पार्टी के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह संगठन पंजाब के युवाओं को रोजगार, कृषि संकट और सिख पहचान से जुड़े मुद्दों पर काम करेगा।
एनएसए और जेल में बंद अमृतपाल सिंह
अमृतपाल सिंह को मार्च 2024 में एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा दिया और युवाओं को इसके लिए भड़काने का काम किया।
- गिरफ्तारी के बाद उन्हें डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया, जहां से उन्होंने अपनी राजनीतिक गतिविधियां जारी रखीं।
- उनके समर्थकों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।
राजनीतिक विश्लेषण और प्रतिक्रियाएं
अमृतपाल की नई पार्टी ने पंजाब की सियासत में नई बहस छेड़ दी है।
- शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस जैसे दलों ने इसे सिख वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश बताया है।
- भाजपा ने इसे राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जोड़कर आलोचना की है।
- कई राजनीतिक विशेषज्ञ इसे पंजाब में खालिस्तान समर्थक विचारधारा को पुनर्जीवित करने की रणनीति मानते हैं।
पार्टी के भविष्य की चुनौतियां
- संगठन का विस्तार: जेल में बंद होने के कारण अमृतपाल सिंह के नेतृत्व में पार्टी का विस्तार और प्रभाव क्षेत्र बनाना चुनौतीपूर्ण होगा।
- कानूनी बाधाएं: खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के आरोपों के कारण पार्टी पर प्रशासनिक और कानूनी दबाव बढ़ सकता है।
- जनता का समर्थन: पंजाब में पार्टी को समर्थन मिलने के लिए सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर स्पष्ट नीति पेश करनी होगी।
- अमृतपाल सिंह की नई पार्टी “अकाली दल वारिस पंजाब दे” पंजाब की राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकती है। हालांकि, इसका भविष्य इस पर निर्भर करेगा कि यह पार्टी किस तरह से सिख समुदाय के हितों को साधने और विवादित छवि से बाहर निकलने में सफल होती है।