तमिलनाडु के करूर में 27 सितंबर को हुए चुनावी रैली के दौरान हुई घनी भीड़ की भगदड़ ने देशभर में हलचल मचा दी है। इस घटना में भारी जनक्षति हुई—स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक़ कम से कम दर्जनों लोग मारे गए और कई घायल हुए हैं; मृतकों की संख्या व घायलों के आंकड़े जांच-पड़ताल जारी हैं।
इस घटना के राजनीतिक असर तुरंत दिखने लगे हैं। भाजपा के वरिष्ठ सांसद अनुराग ठाकुर ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को पत्र लिखकर घटना की “पूरी और पारदर्शी” जांच की मांग की है। ठाकुर ने पत्र में प्रशासन द्वारा भीड़ प्रबंधन के लिए किए गए इंतज़ाम, प्रारंभिक जाँच में भगदड़ के कारण और भविष्य में ऐसी घटनाएँ रोकने के लिए अपनाए जाने वाले सुरक्षा प्रोटोकॉल पर स्पष्ट रिपोर्ट माँगी है। उन्होंने अधिकारियों से शीघ्रतम समय में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आग्रह किया।
बीजेपी ने करूर जाने के लिए एक NDA प्रतिनिधिमंडल भी भेजा, जिसका नेतृत्व सांसद हेमा मालिनी ने किया। प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावित परिवारों और घायलों से मुलाक़ात कर सहानुभूति व्यक्त की और घटनास्थल का दौरा भी किया। प्रतिनिधिमंडल ने घटना में व्यवस्थागत चूक के पहलुओं की भी निष्ठापूर्वक जाँच की माँग की।
घटना के बाद पुलिस की कार्रवाई और जांच भी तेज़ कर दी गई है—कुछ पार्टी के स्थानीय नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज की गई और विशेष पुलिस टीमों को कुछ वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारियों की पहचान व तलाश में लगाया गया है, जबकि मामले की वास्तविक वजहों की तहकीकात जारी है। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और आयोजनकर्ताओं के कर्तव्यों की सीमाओं और भूकम्प जैसे हालात में अपनाए जाने वाले SOP पर राजनीतिक व कानूनी दोनों तरह के सवाल उठ रहे हैं।
इधर, मामले की पुलिस व सरकारी रिपोर्टों के साथ-साथ आयोजनकर्ता TVK से जुड़ी कुछ प्रवालित सूचनाएँ भी सामने आई हैं—उल्लेखनीय है कि आयोजकों ने रैली के दौरान अस्थायी बिजली कटौती/लाइट शटडाउन जैसे इंतज़ामों का अनुरोध किया था, और घटनाक्रम के समय मंच और ध्वनि व्यवस्था संबंधी समस्याओं की खबरें भी आयी हैं; इन तकनीकी और व्यवस्थागत पहलुओं को भी कई पक्ष जाँच के केंद्र में रख रहे हैं।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने आरोपों के मद्देनज़र कहा है कि कुछ राजनीतिक दल इस त्रासदी का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं; वहीं विपक्षी दल सीधे तौर पर आयोजकों और प्रशासन दोनों से जवाब माँग रहे हैं। घटना की न्यायिक/पुलिसिया जाँच, फोरेंसिक आकलन और गवाहों के बयान मिलने के बाद ही पूर्ण तस्वीर स्पष्ट होगी।
क्या होगा आगे? — राज्य सरकार ने जांच का आश्वासन दिया है और केन्द्र-स्तर व राज्य-स्तर पर आवश्यक कदम उठाए जाने की संभावनाएँ बनी हुई हैं। प्रभावित परिवारों के लिए मुआवज़ा, बचाव व चिकित्सा सुविधाओं की समीक्षा और सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए कड़ी भीड़-प्रबंधन प्रक्रियाएँ (SOPs) लागू करने पर भी बहस तेज़ होगी