कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कर्नाटक बीजेपी प्रमुख बी. वाई. विजयेंद्र और अन्य के खिलाफ चल रही इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में जांच पर रोक लगा दी है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच पर 22 अक्टूबर तक अंतरिम रोक का आदेश दिया है।
साथ ही, पूर्व कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कटील, जो इस मामले में सह-आरोपी हैं, के खिलाफ दर्ज एफआईआर में भी जांच पर रोक लगा दी गई है। उन पर आरोप है कि उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड की आड़ में जबरन वसूली की थी।
अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को तय की गई है।
बेंगलुरु की एक अदालत के निर्देश पर शनिवार को निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था, जो अब बंद हो चुकी इलेक्टोरल बॉन्ड योजना से संबंधित शिकायत पर आधारित है।
पुलिस के अनुसार, विशेष अदालत के आदेश पर निर्मला सीतारमण, प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों और राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के पदाधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 384 (जबरन वसूली के लिए सजा), 120B (आपराधिक साजिश) और 34 (साझा इरादा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
कर्नाटक बीजेपी प्रमुख बी. वाई. विजयेंद्र और पार्टी नेता नलिन कुमार कटील का नाम भी इस एफआईआर में शामिल किया गया है।
यह शिकायत जनाधिकार संघर्ष परिषद (JSP) के सह-अध्यक्ष आदर्श आर. अय्यर द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड की आड़ में जबरन वसूली की और 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ उठाया।
शिकायतकर्ता ने आगे आरोप लगाया कि निर्मला सीतारमण ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की गुप्त मदद और समर्थन के जरिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अन्य लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए हजारों करोड़ रुपये की जबरन वसूली की।
शिकायत में कहा गया है, “इलेक्टोरल बॉन्ड की आड़ में पूरे जबरन वसूली के रैकेट को बीजेपी के विभिन्न स्तरों के अधिकारियों के साथ मिलकर अंजाम दिया गया।”
उल्लेखनीय है कि फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था, यह कहते हुए कि यह संविधान के तहत सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है।
VIKAS TRIPATHI
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