
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों की जांच के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय इन-हाउस जांच समिति का गठन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया है कि जस्टिस वर्मा को किसी भी न्यायिक कार्य से अलग रखा जाए।
क्या है पूरा मामला?
👉 14 मार्च की रात करीब 11:35 बजे, जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई।
👉 इस दौरान कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबरें सामने आईं, जिससे न्यायपालिका में भूचाल आ गया।
👉 दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख अतुल गर्ग ने हालांकि अग्निशमन कर्मियों द्वारा नकदी मिलने के दावों का खंडन किया है।
CJI की सख्ती: गठित की गई जांच समिति
मामले की गंभीरता को देखते हुए, CJI संजीव खन्ना ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. एस. संधावालिया, और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन की तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है।
सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक बयान
सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
“दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट, जस्टिस यशवंत वर्मा का जवाब और अन्य दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किए जा रहे हैं।”
न्यायपालिका में खलबली, इस्तीफे की उठी मांग
इस घटना ने पूरे कानूनी जगत में हलचल मचा दी है।
कई वरिष्ठ वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों ने जस्टिस वर्मा के इस्तीफे की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के स्थानांतरण प्रस्ताव को लेकर भी विवाद बढ़ गया है।
स्थानांतरण पर भी विवाद
🔍 जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने का मामला अलग बताया जा रहा है।
🔍 इस विवाद के बीच, उनके ट्रांसफर के फैसले पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या होगा आगे?
सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति जल्द अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई संभव है।

VIKAS TRIPATHI
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