
‘इंसाफ की कुर्सी’ से चिपके बैठे जस्टिस वर्मा, अब महाभियोग की गदा चलने को तैयार!
न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है, पर लगता है किसी ने उनके हाथ में तराजू की जगह अब खोजी मशीन पकड़ा दी है। कारण? जस्टिस यशवंत वर्मा, जिनके घर से नकदी मिलने की पुष्टि अब देश की शीर्ष जांच प्रणाली तक पहुंच चुकी है।
सूत्रों की मानें तो गृह मंत्री अमित शाह और कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की थी। एजेंडा था एकदम ‘वजनी’—जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया को हरी झंडी दिखाना।
कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन जजों की आंतरिक समिति ने अपनी रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों को न सिर्फ पुष्ट किया, बल्कि उन्हें इतनी गंभीरता से लिया कि उसकी कॉपी सीधे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के टेबल पर भेजी गई।
पर दिलचस्प बात यह है कि जब वर्मा साहब से इस्तीफे की बात हुई तो उन्होंने उसे ऐसा नकारा मानो न्याय की कुर्सी को गोंद से चिपका दिया हो।
अब सवाल ये है:
क्या ‘न्यायप्रिय’ वर्मा अपनी कुर्सी से उतरेंगे या फिर संसद उन्हें वहां से ‘गौरवपूर्वक’ नीचे उतारेगी?
या फिर अगली बार जब कोई कोर्ट में कहेगा “माई लॉर्ड”, तो सामने से जवाब आएगा: “पहले बैंक बैलेंस दिखाओ!”
इस घटनाक्रम को देखते हुए अब न्यायपालिका के गलियारों में खुसर-पुसर तेज हो गई है। न्याय के मंदिर से भ्रष्टाचार की गूंज आने लगी है, और देश पूछ रहा है—“ये कैसा न्याय, जिसमें नकदी गवाह बन जाए?”

VIKAS TRIPATHI
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