नई दिल्ली | 29 मई, 2025
ऑल पार्टी डेलीगेशन का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ कांग्रेस सांसद शशि थरूर के हालिया बयानों ने न सिर्फ सियासी हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि खुद कांग्रेस पार्टी के भीतर भी असहज स्थिति पैदा कर दी है। थरूर के उस बयान जिसमें उन्होंने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक को पहली बार की गई कार्रवाई बताया, पर पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं ने आपत्ति जताई है।
कांग्रेस नेता उदित राज ने तो थरूर को “बीजेपी का सुपर प्रवक्ता” तक कह दिया, वहीं पार्टी के संचार प्रमुख पवन खेड़ा और वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने उनके बयान को तथ्यात्मक रूप से गलत करार दिया। इस विवाद के बीच कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने स्थिति को संभालने की कोशिश की और स्पष्ट किया कि पार्टी में कोई वैचारिक टकराव नहीं है, बल्कि यह केवल “फैक्ट करेक्शन” का मामला है।
क्या कहा था शशि थरूर ने?
थरूर, जो पनामा में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऑल पार्टी डेलीगेशन का नेतृत्व कर रहे हैं, ने अपने भाषण में भारत के आतंकवाद के प्रति सख्त रुख को रेखांकित करते हुए कहा:
“भारत ने 2016 में उरी हमले के बाद पहली बार नियंत्रण रेखा पार कर आतंकी लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की। यह पहले कभी नहीं हुआ था। यहां तक कि कारगिल युद्ध के दौरान भी भारत ने एलओसी पार नहीं की थी। भारत का दृष्टिकोण अब बदल गया है, और आतंकवादियों को इसका माकूल जवाब मिल रहा है।”
पार्टी के भीतर से विरोध के स्वर
शशि थरूर के इस बयान पर सबसे पहले पवन खेड़ा और जयराम रमेश ने प्रतिक्रिया दी, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से स्पष्ट किया कि यह दावा सही नहीं है कि सर्जिकल स्ट्राइक 2016 में पहली बार हुई थी।
उदित राज ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि थरूर के बयान बीजेपी की लाइन को मजबूत करते हैं और उन्हें “सुपर प्रवक्ता” तक कह डाला। यह टिप्पणी कांग्रेस के अंदर छिपी असहजता और विचारधारात्मक मतभेद को उजागर करती है।
रणदीप सुरजेवाला की सफाई: “कोई विरोध नहीं, केवल तथ्य स्पष्ट किया”
पार्टी के भीतर बढ़ते विवाद को देखते हुए कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला सामने आए। उन्होंने कहा:
“थरूर वरिष्ठ नेता हैं और कांग्रेस परिवार का हिस्सा हैं। लेकिन उनका यह बयान कि सर्जिकल स्ट्राइक 2016 में पहली बार हुई, तथ्यात्मक रूप से गलत है। यूपीए सरकार के दौरान भी सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कई ऑपरेशन हुए थे, जिनमें आतंकियों और उनके ठिकानों को निशाना बनाया गया था।”
उन्होंने आगे कहा कि:
“यह कोई विरोध या दरार का मामला नहीं है। पवन खेड़ा और जयराम रमेश ने केवल रिकॉर्ड को सही किया है, जैसा कि हर जिम्मेदार राजनीतिक दल को करना चाहिए। हमारे सशस्त्र बलों ने कांग्रेस शासन में भी आतंकियों को करारा जवाब दिया था – इस बात का उल्लेख खुद थरूर ने अपनी किताबों में भी किया है।”
क्या कहता है इतिहास?
कांग्रेस यह मानती रही है कि यूपीए सरकार के समय पर भी सेना ने सीमापार जाकर कई बार आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया, हालांकि उन्हें कभी सार्वजनिक रूप से ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के रूप में प्रचारित नहीं किया गया।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी अपने कार्यकाल में गोपनीय सैन्य अभियानों का समर्थन किया था, जिसका जिक्र कई रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों और कांग्रेस नेताओं ने समय-समय पर किया है।
सारांश: थरूर के बयान ने फिर से खड़े किए ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ पर सवाल
शशि थरूर का बयान, भले ही अंतरराष्ट्रीय मंच से भारत की सुरक्षा नीति को मजबूत दिखाने के उद्देश्य से था, लेकिन वह कांग्रेस की पुरानी रणनीतियों और उपलब्धियों को अनदेखा कर बैठा। नतीजतन, पार्टी को अब अपना रुख स्पष्ट करने के लिए बचाव की मुद्रा में आना पड़ा है।
जहां एक ओर कांग्रेस यह दिखाना चाहती है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर भी उतनी ही सशक्त रही है, वहीं दूसरी ओर शशि थरूर जैसे नेताओं के बयानों से यह संदेश जाता है कि पार्टी अपने ही इतिहास को भूल रही है या नजरअंदाज कर रही है।