
नई दिल्ली: भारत की आर्थिक प्रगति पर बोलते हुए, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 1989 से अब तक के बदलावों को याद किया और बताया कि कैसे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आज के समय में बदल गया है। रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि भारत का असली सोना दो स्विस बैंकों में बेचा गया था।
‘सोने की चिड़िया’ से लेकर सोना बेचने तक की कहानी:
धनखड़ ने भारत के ‘सोने की चिड़िया’ के रूप में प्रसिद्धि का जिक्र करते हुए कहा, “मैंने अपनी आँखों से वह भारत देखा है जिसे कभी ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। लेकिन उसी भारत का असली सोना, हवाई उड़ानों के जरिये स्विट्जरलैंड के दो बैंकों में बेचा गया था। क्यों? केवल हमारी आर्थिक विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए।”
हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 102 टन सोना यूके से भारत स्थानांतरित किया है, जिससे देश के घरेलू भंडार में वृद्धि हुई है, खासकर मौजूदा भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच।
आर्थिक प्रगति की तुलना:
धनखड़ ने भारत की आर्थिक स्थिति की तुलना करते हुए कहा, “उस समय हमारे विदेशी मुद्रा भंडार मुश्किल से 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आसपास थे। लेकिन आज हमारे विदेशी मुद्रा भंडार 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर चुके हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि व्यापार और व्यवसाय से जुड़े लोगों को ‘सिस्टम की सख्ती’ का सामना नहीं करना चाहिए क्योंकि वे रोजगार पैदा करने वाले हैं। उन्होंने ‘आर्थिक राष्ट्रवाद’ के सिद्धांत पर जोर देते हुए कहा कि यह कुछ लोगों के वित्तीय लाभ से अधिक महत्वपूर्ण है।
व्यवसायियों की भूमिका पर जोर:
धनखड़ ने कहा, “वे हमारी अर्थव्यवस्था के चालक हैं… उन्होंने इस देश में समाज को वापस देने की कला सीखी है। ज्यादातर समय वे इसे बखूबी निभाते हैं।” यह बयान उन्होंने मेट्स (MATES) नामक एक निजी शैक्षणिक संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया।

VIKAS TRIPATHI
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