राजस्थान, नई मंडी-घड़साना (गांव 22 एमडी) — शुक्रवार को भारतीय थल सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सीमावर्ती क्षेत्र का औचक दौरा किया और वहां आर्मी तथा बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर सख्त संदेश दिए। दौरे के दौरान सेना प्रमुख ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि पहले वाले अभियान (सिंदूर 1.0) में जिस प्रकार संयम दिखाया गया था, आगे की कार्रवाई उस तरह की अधिक सहनशीलता नहीं दिखाएगी। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान भूगोल में अपनी जगह बनाना चाहता है तो उसे आतंकवाद के संरक्षण को समाप्त करना होगा — अन्यथा उसे गंभीर परिणाम झेलने पड़ेंगे।
दौरा और सभा
सेनाध्यक्ष ने सीमा पर मौजूद जवानों, अधिकारियों और बीएसएफ कमान से उनके हालात, तैयारियों और खुफिया मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने जवानों को हौसला देते हुए कहा कि फोर्स पूरी तरह तैयार रहे — और परिस्थिति के अनुरूप कार्रवाई के लिए “समय मिलने पर” जरूरी कदम उठाए जाएंगे। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने ऑपरेशनल तैयारियों, हवाई और ज़मीन समर्थन तथा तकनीकी मदद की जानकारी दी।
ऑपरेशन सिंदूर 1.0 — क्या हुआ था
सेनाध्यक्ष ने याद दिलाया कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर 1.0 के दौरान भारत ने पाकिस्तान में नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया था। इन लक्ष्यों में से सात को थल सेना ने और दो को वायु सेना ने सफलतापूर्वक हिट किया था। उस अभियान के दौरान भारत ने सावधानी बरतते हुए बताया कि टारगेट केवल आतंकवादी ठिकाने, प्रशिक्षण केंद्र और उनके आकाओं पर थे — नागरिकों या बेगुनाहों को निशाना बनाने का उद्देश्य नहीं था। सेनाध्यक्ष ने कहा कि ऑपरेशन के पश्चात भारत ने जो प्रमाण रखे वे पूरी दुनिया को दिखाए गए ताकि किसी तरह की छिपताछ न हो सके।
“इस बार संयम कम होगा” — 2.0 की चेतावनी
द्विवेदी ने साफ़ कहा कि ऑपरेशन सिंदूर 2.0 में पहले जैसी पूर्ण संयमिता नहीं दिखाई जाएगी। उनकी भाषा में, इस बार की कार्रवाई ऐसी होगी कि पाकिस्तान को “सोचना पड़ेगा कि उसे इतिहास में भूगोल पर जगह बनानी है या नहीं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि पाकिस्तान अपनी वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति बनाए रखना चाहता है तो उसे आतंकवाद को संरक्षण देना बंद करना होगा। सेनाध्यक्ष की यह चेतावनी सीमा सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी नीतियों के प्रति स्पष्ट रुख दर्शाती है।
ऑपरेशन की सफलता — श्रेय और सबूत
सेनाध्यक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर 1.0 की सफलता के लिए मोर्चे पर काम करने वाले सैनिकों और स्थानीय लोगों का आभार जताया। उन्होंने बताया कि उस अभियान में अनुमानतः 100 से अधिक पाकिस्तानी सैनिक और कई आतंकवादी मारे गए — और इसकी पुष्टि के लिए सबूत दुनिया के सामने रखे गए थे। उन्होंने कहा कि सफलता का श्रेय केवल सेना को नहीं, बल्कि देशवासियों के विश्वास और सहयोग को भी जाता है।
सम्मानित अधिकारी
दौरे के अवसर पर ऑपरेशन सिंदूर 1.0 में उत्कृष्ट कार्य करने वाले तीन अधिकारियों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया — बीएसएफ की 140वीं बटालियन के कमांडेंट प्रभाकर सिंह, राजपूताना राइफल्स के मेजर रितेश कुमार और हवलदार मोहित गैरा। सेनाध्यक्ष ने उनकी वीरता और नेतृत्व का स्मरण कराते हुए अन्य जवानों को भी अनुकरणीय कर्तव्यनिष्ठा बनाए रखने का आग्रह किया।
नामकरण और भावनात्मक जुड़ाव
थल सेनाध्यक्ष ने बताया कि ऑपरेशन का नामकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था और यह अभियान महिलाओं को समर्पित था — इसलिए हर बार जब देश की कोई महिला सिंदूर लगाती है तो वे उन शूरवीरों को याद करती हैं जिन्होंने इस ऑपरेशन में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर देश की सामूहिक स्मृति बन चुका है और इसका भावनात्मक संबंध लंबे समय तक बना रहेगा।
सीमा पर सतर्कता और संदेश
उपेंद्र द्विवेदी के शब्द सीमापार-नीति और भारतीय सुरक्षा नीति के स्पष्ट संकेत हैं: पहले कार्रवाई में संयम दिखाया गया, उसका सबूत दुनिया के सामने रखकर स्पष्टीकरण दिया गया — पर भविष्य में यदि आवश्यक हुआ तो और कड़े कदम उठाए जा सकेंगे। उनके संदेश ने बॉर्डर कमांडों को सतर्क रहने, पूर्ण तैयारी बनाए रखने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एकजुटता दिखाने का आह्वान किया।