
देशभर में वक्फ एक्ट के खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शनों ने अब एक राष्ट्रीय विमर्श का रूप ले लिया है। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) द्वारा आयोजित ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ सम्मेलन में विभिन्न धर्मों और विचारधाराओं के नेता एकजुट हुए। इस मंच से उठी आवाजें सिर्फ किसी एक समुदाय की नहीं, बल्कि पूरे हिंदुस्तान की साझा पीड़ा और संकल्प को दर्शा रही थीं।
मनोज झा का तीखा हमला – “जिन्होंने देश को पंचर किया, अब वो हवा नहीं भर सकते”
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा –
“यह लड़ाई किसी धर्म या सियासी झंडे की नहीं, बल्कि संविधान और देश की आत्मा की है। जो आज हमारे साथ नहीं हैं, वो ज़ुल्म करने वालों के साथ खड़े हैं। इन्होंने देश को पंचर कर दिया है – आज देश की अर्थव्यवस्था पंचर है, समाजिक समरसता पंचर है। लेकिन हमें भरोसा है, हम हवा भरना जानते हैं और जरूरत पड़ी तो टाइट भी करना जानते हैं।”
झा ने आगे चेताया –
“ताकत को ताबूत बनते देर नहीं लगती। जिस सोच पर यह देश खड़ा हुआ – गांधी, नेहरू और अब्दुल कलाम की सोच – उसी सोच से इस देश का पंचर ठीक होगा।”
कल्बे जवाद की दो टूक – “संविधान विरोधियों के खिलाफ खड़ा होना होगा”
शिया धर्मगुरु कल्ब ए जवाद ने मंच से कहा –
“जो ताकतें संविधान के खिलाफ काम कर रही हैं, उनके खिलाफ अब खुलकर खड़ा होना होगा। अगर हम सिर्फ रक्षात्मक मुद्रा में रहेंगे, तो पूरा जीवन सफाई देने में ही बीत जाएगा। आज फुहारों में शिवलिंग मिल रहे हैं, कल हर मस्जिद में मिलेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा –
“सुप्रीम कोर्ट के फैसले स्पष्ट हैं कि सरकारी जमीनों पर धार्मिक स्थलों का निर्माण नहीं हो सकता। फिर हर थाने और अस्पताल में मंदिर कैसे बन रहे हैं? यह दोहरे मापदंड नहीं चलेंगे।”
एक साझा मंच, एक साझा संकल्प
AIMPLB अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जमात ए इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदतुल्लाह हुसैनी, उपाध्यक्ष मलिक मोहताशिम खान, अजमेर दरगाह के सज्जादानशीन सरवर चिश्ती सहित कई प्रमुख नेता इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
सभी का स्वर एक ही था – वक्फ एक्ट में संशोधन केवल मुसलमानों पर हमला नहीं, बल्कि भारतीय संविधान की आत्मा पर चोट है। और इसका जवाब देश का हर जागरूक नागरिक देगा।