नई दिल्ली। भारत सरकार ने अमेरिकी कंपनी बोइंग से छह अतिरिक्त P-8i पोसीडॉन समुद्री गश्ती विमानों की खरीद की योजना को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह निर्णय अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यातों पर 7 अगस्त से लागू 25% टैरिफ लगाए जाने के फैसले के बाद सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, यह फैसला न केवल बढ़ती लागत बल्कि भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव को देखते हुए लिया गया है।
सिर्फ विराम, रद्द नहीं – भारत कर रहा है रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन
हालांकि यह डील रद्द नहीं की गई है, लेकिन इसमें अब नई शर्तों और संभावित वैकल्पिक रास्तों पर विचार शुरू हो गया है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, महंगाई और आपूर्ति शृंखला बाधाओं के कारण इन विमानों की कीमतों में 50% की बढ़ोत्तरी हुई है, जिससे सौदे की व्यवहार्यता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
ऑपरेशन सिंदूर में दिखी थी P-8i की ताकत
भारतीय नौसेना पहले से ही 12 P-8i विमान संचालित कर रही है। ये विमान हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की नौसैनिक गतिविधियों पर निगरानी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भी इन विमानों ने भारतीय समुद्री सीमा की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाई थी।
2009 से अब तक का सौदा: कैसे बढ़ती गई लागत
2009 में भारत ने 2.2 अरब डॉलर में 8 P-8i विमान खरीदे थे।
2016 में 4 और विमानों की खरीद करीब 1 अरब डॉलर में की गई।
मई 2021 में अमेरिका ने 6 और P-8i की बिक्री को 2.42 अरब डॉलर में मंजूरी दी।
जुलाई 2025 तक वही डील अब 3.6 अरब डॉलर (करीब 30,000 करोड़ रुपये) तक पहुंच गई — यानी 50% वृद्धि।
यह वृद्धि कोविड के बाद वैश्विक आपूर्ति संकट, कच्चे माल की लागत और मुद्रास्फीति के चलते बताई जा रही है।
भारत की नाराजगी: “रणनीति पर दबाव नहीं, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत भारत पर P-8i और F-35 जैसे अत्याधुनिक हथियार ऊँचे दामों पर खरीदने का दबाव बनाया गया है। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि:
“भारत की रक्षा खरीदें रणनीतिक आवश्यकताओं के आधार पर होती हैं, व्यापारिक या राजनीतिक दबाव में नहीं।”
Make in India को मिलेगा बल: स्वदेशी विकल्पों पर फोकस
सूत्रों की मानें तो भारत इस अवसर का उपयोग ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को आगे बढ़ाने के लिए कर सकता है। DRDO के मानव रहित निगरानी प्लेटफॉर्म और HAL द्वारा प्रस्तावित समुद्री गश्ती विमानों पर तेजी से काम चल रहा है, जो भविष्य में P-8i का स्वदेशी विकल्प बन सकते हैं।
क्या फिर से पटरी पर आएगा सौदा?
अभी यह सौदा पूरी तरह रद्द नहीं हुआ है। भारत और अमेरिका के बीच नए सिरे से मूल्य वार्ता जारी है। यदि भविष्य में टैरिफ नीति में ढील दी जाती है और कीमतें यथोचित स्तर पर आती हैं, तो यह सौदा फिर से पुनर्जीवित हो सकता है।
सामरिक मजबूती के साथ आर्थिक विवेक का संतुलन
भारत ने यह निर्णय दिखा दिया है कि वह अपनी सुरक्षा जरूरतों और आर्थिक प्राथमिकताओं के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका से रिश्ते महत्वपूर्ण हैं, लेकिन एकतरफा दबाव या मनमानी शर्तें स्वीकार नहीं की जाएंगी। आने वाले समय में भारत के लिए यह एक नीतिगत मिसाल साबित हो सकता है।