म्यांमार और थाईलैंड में शक्तिशाली भूकंप के झटकों के बाद भारत ने तुरंत मानवीय सहायता भेजने का फैसला लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभावित क्षेत्रों में हुई क्षति पर गहरी चिंता जताते हुए हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया। भारत ने 15 टन से अधिक राहत सामग्री भेजकर अपना मानवीय दायित्व निभाया, जिससे भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों में तेजी आएगी।
भूकंप के बाद भारत का त्वरित समर्थन
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, म्यांमार में 7.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसका असर थाईलैंड और बैंकॉक तक महसूस किया गया। इस आपदा के तुरंत बाद, भारत ने हिंडन एयरफोर्स स्टेशन से भारतीय वायु सेना (IAF) के C-130J विमान के माध्यम से राहत सामग्री भेजी।
भारत द्वारा भेजी गई राहत सामग्री में क्या-क्या शामिल है?
राहत पैकेज में शामिल हैं:
✅ टेंट और स्लीपिंग बैग – बेघर हुए लोगों के लिए अस्थायी आवास।
✅ कंबल और जरूरी दवाएं – ठंड और बीमारियों से बचाव के लिए।
✅ खाने के लिए तैयार भोजन – प्रभावित लोगों के लिए त्वरित पोषण।
✅ वाटर प्यूरीफायर और हाइजीन किट – स्वच्छ पेयजल और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए।
✅ सोलर लैंप और जनरेटर सेट – बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए।
✅ पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक्स, सीरिंज, दस्ताने और पट्टियां – प्राथमिक चिकित्सा के लिए आवश्यक वस्तुएं।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा:
“म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के बाद की स्थिति को लेकर गहरी चिंता है। सभी प्रभावित लोगों की सुरक्षा और कुशलता के लिए प्रार्थना करता हूं। भारत हरसंभव सहायता के लिए तैयार है। हमने अपने अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है और विदेश मंत्रालय को म्यांमार व थाईलैंड की सरकारों के साथ लगातार संपर्क में रहने के लिए कहा है।”
राहत और बचाव कार्यों में तेजी
➡ थाईलैंड और म्यांमार में राहत एजेंसियां सक्रिय रूप से बचाव कार्य कर रही हैं।
➡ बैंकॉक में प्रभावित इमारतों से लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
➡ इरावदी नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हुआ, लेकिन प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने में जुटा है।

भारत का सहयोग – वैश्विक मानवीय पहल का उदाहरण
भारत ने इस आपदा के समय न केवल मानवीय सहायता प्रदान की, बल्कि दक्षिण एशियाई देशों के साथ अपने मित्रवत संबंधों को और मजबूत किया। संकट की इस घड़ी में भारत का त्वरित समर्थन म्यांमार और थाईलैंड के लिए संजीवनी साबित होगा।