सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और इंडिया गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी रविवार को चेन्नई पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मौका मिला तो वे भारत के संविधान की रक्षा और संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। रेड्डी ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन सहित द्रमुक (डीएमके) और उसके सहयोगी दलों के सांसदों से मुलाकात कर अपने लिए समर्थन मांगा। उनका मुकाबला एनडीए उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन से होगा, जो तमिलनाडु से ही आते हैं।
बी. सुदर्शन रेड्डी दोपहर लगभग 12:35 बजे नई दिल्ली से चेन्नई पहुंचे। हवाई अड्डे पर उनका स्वागत डीएमके सांसद दयानिधि मारन, ए. राजा और अन्य नेताओं ने किया। इस दौरान तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष के. सेल्वापेरुन्थगई, कांग्रेस सांसद डॉ. मल्लू रवि, राज्यसभा सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन और तेलंगाना से पार्टी संयोजक भी मौजूद रहे।
चेन्नई पहुंचने के बाद रेड्डी का कार्यक्रम मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन से मुलाकात का था। उन्होंने स्टालिन से उनकी पार्टी और सहयोगी दलों के सांसदों का समर्थन मांगा। रेड्डी ने कहा — “मैंने बतौर जज संविधान की रक्षा की है। अब अगर उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी मिली, तो संविधान की रक्षा और सम्मान को सर्वोपरि रखूंगा।”
राजनीतिक समीकरण
रेड्डी विपक्षी दलों — कांग्रेस, डीएमके, एमडीएमके, वीसीके, माकपा, भाकपा और कमल हासन की मक्कल निधि मय्यम के नेताओं से मुलाकात कर समर्थन जुटा रहे हैं। संसद के दोनों सदनों में डीएमके और सहयोगी दलों के कुल 53 सांसद हैं (लोकसभा में 40 और राज्यसभा में 13)। यह संख्या विपक्षी खेमे के लिए अहम मानी जा रही है।
दूसरी ओर, एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन के पास पर्याप्त संख्याबल होने की संभावना जताई जा रही है। अगर वे जीतते हैं तो वे तमिलनाडु से देश के उपराष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाले तीसरे नेता होंगे। उनसे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और आर. वेंकटरमन इस पद पर आसीन हो चुके हैं। बाद में दोनों ही देश के राष्ट्रपति भी बने। वहीं, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तमिलनाडु से चुने जाने वाले तीसरे राष्ट्रपति रहे।
सुदर्शन रेड्डी की चेन्नई यात्रा ने उपराष्ट्रपति चुनाव में दक्षिण भारत की राजनीतिक अहमियत को और बढ़ा दिया है। जहां एनडीए अपने उम्मीदवार की जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहा है, वहीं विपक्षी खेमे के उम्मीदवार रेड्डी इसे संविधान की रक्षा बनाम सत्ता की राजनीति का चुनाव बताने की कोशिश कर रहे हैं।