हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार द्वारा चंडीगढ़ में आत्महत्या किए जाने की घटना के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने मृतक अधिकारी के परिवार से चंडीगढ़ में मुलाकात की। परिवार ने मुख्यमंत्री के समक्ष एक लिखित मांग-पत्र सौंपा और घटना के तात्कालिक, कानूनी और सुरक्षा सम्बन्धी कदमों के लिए सख्त कार्रवाई की माँग उठाई। नीचे घटना, परिवार की मांगें और परिवार द्वारा उठाए गए आरोपों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।
घटना का संक्षिप्त परिचय
घटना का प्रारम्भिक तथ्य यह है कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार ने चंडीगढ़ में आत्महत्या की। परिवार ने बताया कि साथ एक आठ पन्नों का सुसाइड नोट भी है, जिसमें कुछ अन्य आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का नाम आया है।
परिवार का कहना है कि सुसाइड नोट और चंडीगढ़ पुलिस को लिखित शिकायत होने के बावजूद अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई — परिवार इस बात को दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक मानता है।
परिवार की मुख्य माँगें (लिखित)
परिवार ने मुख्यमंत्री के समक्ष जो लिखित मांग-पत्र रखा है, उसमें मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं —
1.सुसाइड नोट में जिन अधिकारियों का उल्लेख है — उन सभी के खिलाफ तुरंत FIR दर्ज की जाए और जिन अफसरों पर आरोप हैं उन्हें तत्काल निलंबित (suspend) किया जाए।
2.परिवार को हरियाणा सरकार की ओर से लाइफटाइम सुरक्षा (दिन–रात सुरक्षा) दी जाए, क्योंकि परिवार का कहना है कि मामला रसूखदार आईएएस/आईपीएस अधिकारियों से जुड़ा है और उनकी जान तथा प्रतिष्ठा पर खतरा है।
3.प्रिवेंशन ऑफ एट्रॉसिटी अगेंस्ट शेड्यूल कास्ट एंड शेड्यूल ट्राइब (POA) एक्ट के तहत भी जल्द से जल्द मामला दर्ज किया जाए और संगत कानूनी कार्रवाई की जाए — क्योंकि मृतक एक अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) प्रतिनिधि भी थे।
4.चंडीगढ़ पुलिस पर संयुक्त अफ़सरशाही का दबाव होने का आरोप लगाते हुए, परिवार ने अनुरोध किया है कि मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएँ (जैसे किसी स्वतंत्र/त्रिपक्षीय जांच या उच्च स्तरीय जांच का आदेश)।
परिवार का तर्क और संवेदनशीलता
परिवार ने अपने पत्र में विशेष रूप से लिखा है कि:
वाई. पूरन कुमार सिर्फ एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नहीं थे, बल्कि वे हरियाणा सरकार में अनुसूचित जाति समाज का एक मजबूत प्रतिनिधि भी थे। इसलिए इस मामले की सेंसिटिविटी और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए त्वरित तथा सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
चूँकि सुसाइड नोट विस्तृत (आठ पन्नों) है और उसे चंडीगढ़ पुलिस को लिखित रूप से सौंपा भी गया, इसलिए एफआईआर न होना परिवार के लिए अस्वाभाविक और घबराहट पैदा करने वाला कदम है — परिवार इसे अनदेखा करने जैसा मानता है।
पत्नी अवनीत पी. कुमार की चिंता (लिखित में)
मेरी एडिटिंग में परिवार की तरफ से आईएएस पत्नी अवनीत पी. कुमार का जो मुख्य कथन हुआ वह संक्षेप में यह है:
पत्नी ने लिखा है कि उन्हें शक है कि कुछ ताकतवर आईएएस और आईपीएस अफसरों की लॉबी परिवार को बदनाम कर सकती है या विभागीय मामलों में फंसाने की कोशिश कर सकती है।
इसलिए उन्होंने हरियाणा सरकार से मांग की है कि जिन अधिकारियों का नाम सुसाइड नोट में आया है, उनके खिलाफ जल्द से जल्द विभागीय तथा कानूनी कार्यवाही शुरू की जाए ताकि परिवार को कोई नई प्रताड़ना या बदनामी न झेलनी पड़े।
पत्नी ने यह भी लिखा है कि परिवार को वर्तमान स्थिति में सुरक्षा, न्याय और सार्वजनिक रूप से मामले की पारदर्शी छानबीन चाहिए।
परिवार द्वारा पुलिस और प्रशासन पर आरोप
परिवार ने आरोप लगाया है कि चंडीगढ़ पुलिस पर अफसरशाही का दबाव है — इसलिए पुलिस ने शिकायत के बावजूद अभी तक FIR दर्ज नहीं की या मामले में निष्पक्ष पहल नहीं की।
परिवार का यह भी कहना है कि मामले की संवेदनशीलता तथा समाजिक प्रभाव के कारण एक स्वतंत्र जांच (जांच समिति/CBI/न्यायिक जांच) अपेक्षित है ताकि किसी प्रकार के दबाव या पक्षपात से बचा जा सके।
क्या माँगा गया है — संक्षेप में
परिवार ने लिखित रूप से मुख्यमंत्री और हरियाणा सरकार से कुल मिलाकर यह माँगा है:
आरोपित उच्च अधिकारियों के खिलाफ त्वरित FIR और निलंबन,
परिवार के लिए जीवनभर की सुरक्षा,
POA एक्ट के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई, और
मामले की निष्पक्ष, पारदर्शी और स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष और असर
परिवार का पीड़ा-प्रकट और लिखित मांग-पत्र इस बात की ओर संकेत करता है कि मामले में न केवल कानूनी पहल की आवश्यकता है बल्कि सामाजिक नाजुकता और सरकारी पारदर्शिता की भी माँग है। परिवार ने मुख्यमंत्री से प्रत्यक्ष मुलाकात कर इस मामले को उच्च प्राथमिकता पर उठाने का आग्रह किया है — उनका संकल्प है कि मामले की गम्भीरता को देखते हुए जल्द और सख्त कदम उठाए जाएँ ताकि न केवल मृत्यु के कारणों का सत्य उजागर हो बल्कि परिवार को उचित सुरक्षा और न्याय भी मिल सके।